नई दिल्ली (मा.स.स.). केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि क्षेत्र हमारे देश की रीढ़ है और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं कृषि की अर्थव्यवस्था में इतनी ताकत है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी देश आसानी से पार पा सकता है। कोविड महामारी के दौरान भारतीय कृषि क्षेत्र ने यह करके दिखाया है। देश के 80 करोड़ लोगों को भारत सरकार ने खाद्यान्न सुरक्षा प्रदान की, साथ ही मित्र देशों की मदद भी की। आज अधिकांश कृषि उत्पादों के मामले में हम दुनिया के पहले या दूसरे स्थान पर हैं। इसके बावजूद कृषि क्षेत्र के समक्ष कुछ चुनौतियां हैं। कृषि उन्नत खेती में बदले, कृषि में टेक्नालॉजी का प्रयोग हो व इसकी निरंतरता बनी रहे, इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
तोमर ने यह बात एसोसिएटेड चेम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री आफ इंडिया (एसौचेम) द्वारा ‘कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्नत बीज और कृषि सामग्री एकीकरण’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में वर्चुअली कही। तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र जितना मजबूत व फायदेमंद होगा, देश उतना मजबूत होगा। आज कृषि के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर विचार करने की जरूरत है। सभी तरह की अनुकूलताओं के बाद भी कृषि का क्षेत्र और उसकी लाभ-हानि प्रकृति पर काफी निर्भर करती है। खेती के प्रति लोगों की उत्सुकता व लगाव बढ़ना चाहिए, खेती अगली पीढ़ी के लिए आकर्षक हो और खेती करने वालों को खेती के लिए रोका जा सके, इस दिशा में और अधिक काम करने की जरूरत है।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों और बाजार के बीच की दूरी कम करने, ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने, बिचौलियों का दखल खत्म करने के लिए सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में छोटे किसानों की संख्या अधिक है, जिनके पास छोटा रकवा है व निवेश के लिए राशि नहीं है, ऐसे किसानों के लिए केंद्र सरकार 10 हजार नए एफपीओ बना रही हैं, जिनके लिए 6,865 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है और छोटे-छोटे किसानों को जोड़ा जा रहा है। सरकार की कोशिश है कि किसान समूह में खेती करें, जिससे आदान की लागत कम आए, उत्पादन गुणवत्ता को सुधारा जा सके, छोटे किसान महंगी फसलों की ओर जा सकें व अपनी शर्तों पर उपज मूल्य प्राप्त कर सकें। एफपीओ उत्पादों की प्रोसेसिंग भी कर सकते हैं। इसके लिए बिना गारंटी के दो करोड़ रु. तक के लोन की व्यवस्था सरकार ने की है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तिलहन में आयात निर्भरता कम करने के लिए 11 हजार करोड़ रु. के खर्च से आयल पाम मिशन शुरू किया गया है। देश में 28 लाख हेक्टेयर भूमि आयल पॉम की खेती के लिए अनुकूल है। पूर्वोत्तर में अनुकूलता ज्यादा है। गांव-गांव इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाने के लिए एक लाख करोड़ रु. के एग्री इंफ्रा फंड का प्रावधान किया गया है। पशुपालन, मत्स्यपालन, औषधीय खेती के लिए भी विशेष पैकेजों का प्रावधान किया गया है। तोमर ने कहा कि डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन पर भी भारत सरकार काम कर रही है, जिससे किसान, बैंक व अन्य संस्थान जुड़े रहेंगे, क्रॉप आंकलन व जानकारी एकत्रित करेंगे, नुकसान का आंकलन भी तकनीक से किया जाएगा। इस प्रकार मैपिंग की जाएगी कि राज्य सरकारों के माध्यम से देशभर के किसानों को एडवाइज किया जा सके कि कहां-किसकी खपत है, तो इतना उत्पादन किया जाकर लाभ अर्जित किया जा सकता है। इससे अफरातफरी नहीं रहेगी, नुकसान भी नहीं होगा। सरकार ने प्राकृतिक खेती पर भी बल दिया है, इस दिशा में हम सबको आगे बढ़कर काम करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम में एसोचैम के महासचिव दीपक सूद, असगर नकवी, जय श्रॉफ मौजूद थे। इस मौके पर नालेज पेपर का विमोचन किया गया।
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