– डॉ० घनश्याम बादल
पेपरब्वॉय से वैज्ञानिक व मिसाइलमैन बनते हुए देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचे और अपने अंतिम समय तक विज्ञान और अपने मुल्क से बेपनाह मोहब्बत करते रहे उनके पास जाकर सबसे ज्यादा खुशी महसूस करते रहे । जिन्होने अपना जन्मदिन अर्पित किया छात्रों के नाम छात्र दिवस के रूप में और अंतिम सांस भी ली छात्र-छात्राओं के ही बीच व्याख्यान देते हुए । वह बहुत साधारण दिखने वाले असाधारण शख्स थे भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम।
महान वैज्ञानिक
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का ‘मिसाइलमैन’ से महामहिम तक एक प्रेरणा पुंज बन हमारे सामने है । एक ऐसे राष्ट्रपति जिन्होंने एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था जी हां महामहिम होते हुए भी उन्हें महामहिम कहलवाना पसंद नहीं था । राष्ट्रपति बनने से पहले कभी राजनीति से नहीं जुड़े कलाम, मगर सर्वोच्च पद पर आकर राजनीति को एक नई दिशा दी।
‘मिसाइल मैन ऑफ़ इन्डिया‘
11वें राष्ट्रपति डॉ. अवुल पाकिर जैनुलब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को रामेश्वरम में हुआ, वे 2002 से 2007 तक इस पद पर रहे। इससे पहले रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन तथा भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन में लगभग चार दशकों तक वैज्ञानिक तथा के रूप में कार्य किया। अन्तरिक्ष कार्यक्रम तथा सैन्य मिसाइल विकास कार्यक्रम में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही इस के लिए उन्हें ‘मिसाइल मैन ऑफ़ इन्डिया’ कहा जाता है।
कमाल के लेखक भी
डॉ. कलाम एक प्रसिद्ध लेखक भी थे, उनकी पुस्तकें विशेषतः छात्रों में काफी लोकप्रिय हैं। डॉ. कलाम द्वारा रचित प्रमुख पुस्तकें हैं : इंडिया 2020, विंग्स ऑफ़ फायर, इग्नाइटेड माइंडस, द लुमिनस स्पार्क्स, मिशन इंडिया, इंस्पायरिंग थॉट्स, इन्डोमिटेबल स्पिरिट, टर्निंग पॉइंट्स, टारगेट 3 बिलियन, फोर्ज योर फ्यूचर, ट्रांसेंडेंस : माय स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस विद प्रमुख स्वामीजी, एडवांटेज इंडिया : फ्रॉम चैलेंज टू अपोर्चुनिटी।
विद्यार्थियों के आदर्श
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विद्यार्थियों के लिए एक आदर्श थे। उनकी उपलब्धियों के कारण उनके जन्मदिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने की घोषणा की गई है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम सभी वर्गों और जाति के छात्रों के लिए प्रेरक और मार्गदर्शक की भूमिका निभाते थे। एक छात्र के रुप में उनका खुद का जीवन काफी चुनौतीपूर्ण था और अपने जीवन में उन्होंने कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना किया।
बचपन में उन्होंने अखबार भी बेचे लेकिन वह हर तरह की बाधाओं को पार करने में सफल रहे और हर चुनौती को पार करते हुए, राष्ट्रपति जैसा सर्वोच्च संवैधानिक पद प्राप्त किया। अपने वैज्ञानिक और राजनैतिक जीवन में डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने खुद को एक शिक्षक ही माना और छात्रों को संबोधित करना उनको प्रिय था फिर चाहे वह किसी गांव के छात्र हों या फिर बड़े कालेज अथवा विश्वविद्यालय के ।
बड़े लक्ष्य , बड़े सपने
अपने जीवन में डॉ कलाम के विश्व भर के छात्रों की तरक्की के लिए उनके अतुलनीय कार्यों देखते हुए ही उनके जन्म दिन को विश्व विद्यार्थी दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया । डॉ० कलाम के जीवन से चुनौतियों व बाधाओं को पार करते हुए बड़े से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है उनका मानना था कि छात्र देश के भविष्य है और यदि उनकी अच्छी से देख-रेख की जाये तो वह समाज में कई सारे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।
कमाल की उपलब्धियाँ
डॉ कलाम ने युवाओं, छात्रों, प्रेरणा, विज्ञान और तकनीकी पर 18 किताबें लिखी। मद्रास इंसट्यूट आफ टेक्नोलाजी से सन् 1960 में एयरोस्पेस इंनजीनीयरिंग की पढ़ाई पूरी की।भारत के प्रथम सेटेलाइट लांच (एसएलवी 2) में प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर बने।1981 में पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किये गये।1990 में पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित किये गये।1997 में भारत रत्न से सम्मानित किये गये।
कलाम का अध्ययन प्रेम :
युवाओं के शिक्षा के लिए डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम द्वारा किये गये कार्यअपने छात्रों के इसी प्रेम और विश्वास के कारण अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद वह भारत भर के कई कालेजों और आकादमिक संस्थानो में अपने भाषणों द्वारा छात्रों को प्रेरित करने का कार्य करते रहे। छात्रों के प्रति उनका यह प्रेम इतना गहरा था कि उन्होंने अपनी आखरी सांस भारतीय प्रबंधन संकाय में पृथ्वी को एक जीवित ग्रह बनाए रखने विषय पर भाषण देते हुए ली।
कई विश्वविद्यालयों से वह राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद भी जुड़े रहे। डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कई किताबें लिखी जिनमें विग्स आफ फायर, इग्नेटेडड मांइड्स, द ल्यूमनस स्पार्क, इंसपायरिंग थाट्स, इंडोमेटियबल स्पीरीट, यू आर बार्न टू ब्लोसम, टर्निंग प्वाइंटः ए जर्नी थ्रू चैलेंज, माई जर्नी, फोर्ज योर फ्यूचर आदि शामिल हैं । छात्र और युवक डॉ कलाम को बहुत ही ध्यान से सुनते थे।
सहज सरल व्यक्तित्व :
कलाम सच्चे मायनों में महानायक थे। जिस तरह की कठिनाइयां उन्होंने अपने बचपन में झेली, किसी और व्यक्ति को वह काफी आसानी से अपने रास्ते से डिगा सकती थी। पर डॉ अब्दुल कलाम इन सब कठिनाइयों का सामना शिक्षा के अस्त्र से किया उनके विषय में कोई चर्चा तब तक नही पूरी होगी जब तक उनके धर्म निरपेक्ष चरित्र की बात न की जाये, जिसका उन्होंने सदैव अपने जीवन में पालन किया। वह सच्चे धर्म निरपेक्ष थे असाधारण होकर भी साधारण रहते थे, उनका व्यवहार सामान्य व्यक्तियों जैसा था। यहां तक कि उन्हें खुद को महामहिम या ‘हिज एक्सीलेंसी’ कहा जाना भी स्वीकार नहीं था।
स्वप्न दृष्टा :
अब्दुल कलाम ऐसे शख्स थे जिन्होंने जीवन में चुनौतियों को सदा स्वीकार किया उन्हें परास्त करके वह सफलता के शिखर पर पहुंचे। उनकी आंखों में सदैव भविष्य के भारत के सपने तैरते थे । उनका कहना था कि सपने वे नहीं होते जो सोते हुए देखते हैं अपितु सपने तो वह होते हैं जो सोने नहीं देते । वह सदैव ही भविष्य के नागरिकों को ऊंचा लक्ष्य रखने का परामर्श देते थे उनका कहना था – ‘सोचो तो आकाश की सोचो, अगर गिरे भी तो तारों के बीच गिरोगे” । डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बताए रास्ते पर चलकर उनके दर्शन एवं आदर्शों को अपने जीवन में उतार कर भारत विश्व के शिखर पर पहुंचने में सक्षम है ।
लेखक वरिष्ठ साहित्यकार हैं.
नोट : लेखक द्वारा व्यक्त विचारों से मातृभूमि समाचार का सहमत होना आवश्यक नहीं है.
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