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सीए राजीव बंगाली पर लगा 5 साल का प्रतिबंध और 5 लाख रुपये का जुर्माना

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नई दिल्ली (मा.स.स.). राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (एनएफआरए) ने मैसर्स सुब्रमण्यम बंगाली एंड एसोसिएट्स, जो वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान ट्राइलॉजिक डिजिटल मीडिया लिमिटेड (टीडीएमएल) के सांविधिक लेखा परीक्षा के लिए सहयोगी साझीदार था, के सीए राजीव बंगाली द्वारा व्यावसायिक कदाचार के संबंध में कंपनी अधिनियम 2013 (अधिनियम) की धारा 132 (4) के तहत आदेश जारी किया है। एनएफआरए ने उन्हें पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने के अलावा किसी भी कंपनी या निकाय कॉर्पोरेट के सांविधिक लेखा परीक्षक और आंतरिक लेखा परीक्षक के रूप में नियुक्ति को पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है।

पेशेवर कदाचार की जांच में पायी गयी कुछ मुख्य खामियां इस प्रकार हैं:

  • इस तथ्य के बावजूद कि टीडीएमएल के वित्तीय विवरणों में नकदी प्रवाह विवरण (कैश फ्लो स्टेटमेंट) शामिल नहीं था, लेखा परीक्षक ने नकदी प्रवाह विवरण की लेखा जांच की झूठी रिपोर्ट जमा की थी। लेखा परीक्षक ने फर्जी नकदी प्रवाह विवरण के साथ एनएफआरए को गुमराह करने का भी प्रयास किया था।
  • वित्तीय विवरणों पर असंशोधित लेखापरीक्षण राय जारी करने में लेखा परीक्षक घोर लापरवाही कर रहा था और कंपनी की स्थिति के बारे में सत्य और निष्पक्ष दृष्टिकोण को नहीं दर्शाया गया था।
  • टीडीएमएल ने 06 करोड़ रुपये के अन्य विविध व्यय को मान्यता दी थी और 14.87 करोड़ रुपये के विविध शेष राशि को बट्टे खाते में डाल दिया था, जो 71.43 करोड़ रुपये के कुल खर्च का 54.50 प्रतिशतथा। इस तरह के खर्च पिछले साल के 1.28 करोड़ रुपये के समान मद के खर्च से 3041 प्रतिशत अधिक थे। लेखा परीक्षक इस तरह के असामान्य लेन-देन के बावजूद धोखाधड़ी के कारण गलत विवरण की संभावना के प्रति उचित सावधानी बरतने और पेशेवर संदेह बनाए रखने में विफल रहा था।
  • परिचालन से राजस्व 51 करोड़ रुपये से घटकर 06 करोड़ रुपये हो गया, टीडीएमएल को 54.37 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कुल मूल्य 58.89 करोड़ रुपये से घटकर 4.52 करोड़ रुपये हो गया और इन्वेंटरी 12.71 करोड़ रुपये से घटकर शून्य हो गयी – इन प्रतिकूल संकेतकों के बावजूद लेखा परीक्षक प्रबंधन की ‘बढ़ती चिंताओं’ की धारणा की उपयुक्तता के मूल्यांकन में लापरवाही कर रहा था।
  • टीडीएमएल ने पर्याप्त भविष्य की कर योग्य आय की किसी निश्चितता के बिना 96 करोड़ रुपये की आस्थगित कर संपत्ति (डीटीए) को मान्यता दी, जिसके आधार पर इस तरह के डीटीए की वसूली की जा सकती थी। लेखापरीक्षक डीटीए की अनुपयुक्त मान्यता की रिपोर्ट करने में विफल रहा।
  • लेखापरीक्षक ने लेखा-परीक्षण में बड़ी संख्या में मानकों का उल्लंघन किया था, तदनुसार, एक सूचीबद्ध कंपनी की लेखा-परीक्षा एक लापरवाही के साथ तथा औपचारिक तरीके से की गई थी।
  • लेखापरीक्षक छ: लेखा मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने में विफल रहा।
  • टीडीएमएल ने निर्दिष्ट बैंक नोटों में लेनदेन के विवरण के बारे में खुलासा नहीं किया, जोनवंबर 2016 में विमुद्रीकरण के बाद अनिवार्य आवश्यकता थी। इसी तरह टीडीएमएल ने संबंधित पक्ष (पार्टी) विवरण और लेनदेन के संबंध में पूर्ण विवरण नहीं दिया। अधिनियम के अनुसार महत्वपूर्ण प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने में लेखापरीक्षक घोर लापरवाही कर रहा था।
  • लेखापरीक्षक ने झूठी रिपोर्ट दी थी कि टीडीएमएल, एक मीडिया और सिंडिकेट के रूप में कंटेंट का प्रबंधन करने वाली कंपनी है और आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 आईए के तहत गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी के रूप में पंजीकृत है।

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