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खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि के शासी निकाय का नौवां सत्र संपन्न

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नई दिल्ली (मा.स.स.). खाद्य और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीएफआरए) के शासी निकाय का नौवां सत्र (जीबी9) आज नई दिल्ली में संपन्न हुआ। आईटीपीजीएफआरए के छह दिवसीय जीबी9 सत्र का उद्घाटन 19 सितंबर, 2022 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नई दिल्ली में किया था। 150 सदस्य देशों के 400 से ज्यादा प्रख्यात वैज्ञानिकों और संसाधन संबंधी व्यक्तियों ने शासी निकाय के 9वें सत्र के दौरान मंत्रणा की।

भारत की ओर से संधि के लाभ-साझाकरण कोष के लिए पहला योगदान

ऐतिहासिक रूप से पहली बार, भारतीय बीज उद्योग महासंघ (एफएसआईआई) ने जीबी-9 बैठकों के दौरान भारतीय बीज क्षेत्र की ओर से पहले सामूहिक योगदान के तौर पर लाभ-साझाकरण कोष (बीएसएफ) में 20 लाख रुपये (25,000 अमेरिकी डॉलर) का योगदान दिया। बीएसएफ दरअसल इस संधि का वित्तपोषण तंत्र है जिसका उपयोग इस संधि के अनुबंधकारी पक्षों के बीच क्षमता निर्माण, संरक्षण और टिकाऊ उपयोग वाली परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए किया जाता है।

भारत को एमएलएस के संवर्धन पर कार्य समूह का सह-अध्यक्ष बनाया गया

भारत के आईसीएआर-नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज के डॉ. सुनील अर्चक को कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया के कृषि विभाग के डॉ. माइकल रायन के साथ ‘बहुपक्षीय सिस्टम के संवर्धन (एमएलएस)’ पर कार्य समूह का सह-अध्यक्ष नियुक्त किया गया। आईटीपीजीएफआरए की कामयाबी के लिए एक पूरी तरह कार्यशील यूजर-फ्रेंडली और सरल एमएलएस महत्वपूर्ण है। संवर्धन के इन तत्वों में – बढ़ा हुआ लाभ साझाकरण तंत्र, फसलों का विस्तार और एमएलएस के माध्यम से उपलब्ध पहुंच के उपाय शामिल होंगे। साथ ही वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिक, तकनीकी और नीतिगत वातावरण में बदलाव का संज्ञान लेना भी इसमें शामिल होगा।

जीबीमें व्यापक बातचीत के बाद किसान अधिकारों को लागू करने पर सहमति बनी

डॉ. आर. सी. अग्रवाल (भारत) और सु स्वानहिल्ड इसाबेल बेट्टा टोरहेम (नॉर्वे) की सह-अध्यक्षता में किसानों के अधिकारों (एफआर) पर तदर्थ तकनीकी विशेषज्ञ समूह (एएचटीईजी) की पिछले पांच वर्ष की बैठकों के आधार पर और जीबी9 बैठक के दौरान कार्यकारी समूह / पूर्ण विचार-विमर्श के बाद अनुच्छेद 9 के तहत किसान अधिकारों के कार्यान्वयन संबंधी एक प्रस्ताव पर अंततः सहमति बनी, साम्य और न्याय सुनिश्चित करते हुए।

इन सह-अध्यक्षों ने इस प्रस्ताव तक पहुंचने के लिए जीबी9 के विशेषज्ञों, हितधारकों और प्रतिनिधियों के योगदान को माना। ये कर पाना आसान नहीं था लेकिन फिर भी इसे हासिल किया गया। जीबी ने अनुबंध करने वाले पक्षों से राष्ट्रीय कानून के अनुसार, इस संधि के तहत किसानों के अधिकारों के राष्ट्रीय कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय उपायों, सर्वोत्तम प्रथाओं और सीखे गए सबकों की सूची को अपडेट करने का आह्वान किया। इसके अलावा, संधि सचिवालय से अनुरोध किया गया कि किसानों के अधिकारों को प्राप्त करने के लिए विकल्पों को प्रकाशित करें, जिसमें विकल्प श्रेणी 10 (किसानों के अधिकारों के कार्यान्वयन के लिए कानूनी उपाय) भी शामिल हैं।

इसे सह-अध्यक्ष के प्रस्ताव के रूप में दर्ज किया गया था। ऐसा ‘पौधा किस्म और कृषक अधिकार सरंक्षण (पीपीवी और एफआर) अधिनियम, 2001’ को लेकर भारत के अनुभव के आधार पर किया गया जहां किसानों के अधिकारों को पौधा उगाने वालों के अधिकारों के साथ अच्छी तरह से संतुलित किया गया है। इसे सह-अध्यक्ष के रूप में प्रस्ताव में शामिल किया गया। जीबी9 ने किसानों के अधिकारों पर डिजिटल अनुक्रम सूचना (डीएसआई) के संभावित असर के लिए अपने बहु-वर्षीय कार्य कार्यक्रम (एमवायपीओडब्ल्यू) में शामिल करने के लिए संधि सचिवालय का भी आह्वान किया।

जीबी9 ने किसानों के अधिकारों पर एक वैश्विक संगोष्ठी की मेजबानी करने की भारत सरकार की पेशकश का स्वागत किया जहां अनुभव साझा किए जा सकें और किसानों के अधिकारों को लेकर भविष्य के कार्यों पर चर्चा की जा सके तथा साथ ही विभिन्न देशों में जहां अनुबंधकारी पक्ष हैं वहां संधि के अनुच्छेद 9 के अनुसार किसानों के अधिकारों के कार्यान्वयन के आकलन का भी स्वागत किया।

जीनबैंक फंडिंग से जुड़े मसले की ओर भारत ने ध्यान जुटाया

आईटीपीजीएफआरए के जीबी9 में एक बड़ी सफलता ये रही कि अनुबंध करने वाले पक्षों ने भारत द्वारा किए गए हस्तक्षेप को स्वीकार किया जिसे कई अफ्रीकी देशों का समर्थन प्राप्त था। ये हस्तक्षेप वैश्विक स्तर पर जीनबैंकों के वित्तपोषण पर सीजीआईएआर प्रणाली के भीतर संस्थागत सुधार के कारण हुए असर के संबंध में और विशेष रूप से सीआईएफओआर-आईसीआरएएफ और आईसीआरआईएसएटी के संबंध में था। जीबी ने अनुच्छेद 15 आईएआरसी जीनबैंक की दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और सीजीआईएआर केंद्रों तथा अन्य अनुच्छेद 15 जीनबैंकों द्वारा ‘भरोसे में’ रखे जर्मप्लाज्म के वितरण को लेकर और इस संधि व क्रॉप ट्रस्ट तंत्र को मजबूत करते हुए दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने की जरूरत पर भी बल दिया।

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