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मार्शलों को वेतन न मिलने के मामले में कांग्रेस और आप आमने-सामने

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नई दिल्ली. लगभग छह महीने से डीटीसी और क्लस्टर बसों के मार्शल सैलरी और अन्य मांगों को लेकर सरकार के फैसले का इंतजार करने के बाद सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं. डीटीसी और क्लस्टर बसों से जुड़े कर्मचारी लगातार सरकार से उनकी मांगों को मानने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. वहीं, अब धरने पर बैठे 10 हजार मार्शलों को कांग्रेस पार्टी का साथ मिलता नजर आ रहा है. कांग्रेस पार्टी ने उनका समर्थन करने का फैसला किया है.

कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह फैसला पार्टी कार्यालय में मार्शलों के प्रतिनिधियों द्वारा उनकी समस्याओं को जाहिर करने के बाद लिया है. मार्शलों ने कांग्रेस पार्टी से उनकी तरफ से लड़ाई लड़ने का आग्रह किया. दिल्ली कांग्रेस ने उनके इस आंदोलन को समर्थन देने के बात बताते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, आज दोपहर 12 बजे दिल्ली सचिवालय स्थित चल रहे डीटीसी और कलस्टर बसों के मार्शलों के धरने में शामिल हांगे. वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक मुकेश शर्मा ने कहा कि लवली कल इस मामले में धरना स्थल पर पहुचकर इन मार्शलों के साथ हो रहे छल की न केवल पोल खोलेंगे बल्कि पार्टी तथ्यों के साथ कल बड़ा खुलासा भी करेगी.

महीनों से वेतन न मिलने से मार्शलों की हालात खराब

डीटीसी और क्लस्टर बसों में सुरक्षा के लिए तैनात किए गए 10 हजार से अधिक मार्शल अब सड़कों पर उतर आये हैं. अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे इन मार्शलों को पिछले 6 महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनकी माली हालत खराब हो चली है. वहीं, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के फैसले सिविल डिफेंसकर्मियों को होमगार्ड के रूप में नियुक्ति कर बस में मार्शल के रूप में तैनात किए जाने के निर्णय से उनकी नौकरी भी खतरे में नजर आ रही है. उनका कहना है कि ये सिर्फ सियासी खेल है, जबकि हकीकत यह है कि उन्हें होमगार्ड नहीं बनाया गया है और उन्हें बनना भी नहीं है. उन्हें सैलरी चाहिए जो उन्हें पिछ्ले छह महीनों से नहीं मिली है.

मांगें माने जाने तक जारी रहेगा धरना 
जंतर-मंतर, उपराज्यपाल और सीएम आवास के बाहर धरना-प्रदर्शन करते हुए डीटीसी के मार्शल अब सचिवालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि यह प्रदर्शन 24 घंटे जारी चलेगा और यह तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मान लेती है. अभी उनकी प्राथमिकता वेतन है, इसलिए उनकी मांग है कि सबसे पहले उन्हें उनके बकाए वेतन का भुगतान किया जाए.

साभार : एबीपी न्यूज़

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