चंडीगढ़. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। राजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सक्षम अथॉरिटी (गृह मंत्रालय) से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा है। गौरतलब है कि, उसने अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दाखिल की थी।
जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी समय आने पर फिर से दया याचिका पर विचार कर सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं। रिट याचिका का निपटारा उसी के अनुसार किया जाता है। न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने राजोआना का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम.नटराज की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा। रोहतगी ने तर्क दिया था कि दया याचिका पर लंबे समय तक फैसला नहीं लिया गया है ऐसा करना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
27 साल से है जेल में बंद
बलवंत सिंह राजोआना लगभग 27 साल से जेल में बंद है। उसे 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। उसने 2012 में दया याचिका दाखिल की थी, जो केंद्र सरकार के पास लंबित है। गृह मंत्रालय की ओर से उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने पर कोई फैसला नहीं लिया है। बलवंत सिंह राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार लगाई है। उसने अपनी अर्जी में कहा है कि उसकी दया याचिका 2012 से लंबित है। केंद्र सरकार उसकी याचिका पर लंबे समय तक फैसला नहीं ले पाई है। वह पिछले 27 साल से जेल में है। यह उसके मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। दोषी बलवंत सिंह ने अपनी याचिका में उसने फांसी को उम्र कैद में बदलने की गुहार लगाई है।
कौन है बलवंत सिंह
बलवंत सिंह राजोआना का जन्म 23 अगस्त 1967 को पंजाब, लुधियाना के राजोआना कालां गांव में हुआ। लुधियाना के जीएचजी खालसा कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी की और 1 अक्टूबर 1987 में पंजाब पुलिस में शामिल हो गया। बलवंत सिंह के पिता मलकीत सिंह को आतंकवादियों ने मार दिया था। इसी दौरान एक केस में संदिग्ध बलवंत सिंह के दोस्त हरपिंदर सिंह उर्फ गोल्डी को पंजाब पुलिस ने गोली मार दी थी। इसके बाद 1993 में बलवंत सिंह राजोआना को गोल्डी के माता-पिता, जसवंत सिंह और सुरजीत कौर ने कानूनी तौर पर गोद ले लिया था।राजोआना की बहन कमलदीप कौर एक राजनेता हैं।
ऐसे की थी पूर्व सीएम की हत्या
31 अगस्त 1995 को दिलावर सिंह ने अपनी कमर की बेल्ट में 1.5 किलोग्राम विस्फोटक बांध लिया और बलवंत सिंह राजोआना के साथ दिल्ली लाइसेंस प्लेट वाली एक सफेद रंग के एंबेसडर में सचिवालय परिसर पहुंचे। कथित तौर पर दिलावर और बलवंत ने यह तय करने के लिए एक सिक्का उछाला था कि आत्मघाती हमलावर कौन बनेगा। इस सिक्के के उछालने में ये तय हुआ कि आत्मघाती हमलवार दिलावर होगा। शाम 5.10 बजे, तीन सफेद एंबेसडर बेअंत सिंह को लेने के लिए सचिवालय परिसर में वीआईपी पोर्टिको के पास रुकी। जैसे ही बेअंत सिंह कार में कदम रखने वाले थे, दिलावर उनकी बुलेट प्रूफ कार की ओर बढ़ा और बम का बटन दबा दिया। इस विस्फोट में 3 भारतीय कमांडो सहित 17 अन्य लोगों की जान चली गई।
साभार : दैनिक जागरण
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