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अस्पताल के डीन से टॉयलेट साफ करवाने वाले सांसद पर एफआईआर

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मुंबई. महाराष्ट्र में नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में 1 से 3 अक्टूबर के बीच 31 मरीजों की मौत हुई। इसके बाद 3 अक्टूबर की शाम शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल ने अस्पताल के डीन एसआर वाकोडे से टॉयलेट साफ करवाया। इस घटना का फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने हेमंत पाटिल के खिलाफ FIR दर्ज की है। ये FIR डीन की शिकायत पर दर्ज की गई है। डीन ने आरोप लगाया है कि सांसद ने उन्हें उनकी ड्यूटी करने से रोका और बेइज्जत किया।

दो अस्पतालों में 49 लोगों की मौत
उधर, छत्रपति संभाजीनगर के शासकीय मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 24 घंटे में 18 मरीजों की मौत हुई, इनमें 2 नवजात थे। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि ये मौतें 2 अक्टूबर सुबह 8 बजे से 3 अक्टूबर की सुबह 8 बजे के बीच हुईं। नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में हुई़ 31 मौतों को मिलाकर महाराष्ट्र के दो अस्पतालों में बीते तीन दिनों में 49 मरीजों की मौत हुई है।

शंकरराव चव्हाण में 70 मरीजों की हालत गंभीर
नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में जिन 31 लोगों की मौत हुई, उनमें 16 बच्चे थे। इस अस्पताल में 30 सितंबर की रात से मौतों का सिलसिला जारी है। यहां अभी भी 70 मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है, इनमें 38 नवजात हैं। फिलहाल अस्पताल में 138 नवजातों का इलाज चल रहा है। नांदेड अस्पताल की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में 65 बच्चे एडमिट हैं, जबकि क्षमता केवल 24 बच्चों की है। हॉस्पिटल में 500 बेड की व्यवस्था है, लेकिन 1200 मरीज भर्ती हैं। इनमें 70 मरीजों की हालत अभी भी गंभीर है।

मरीजों ने लापरवाही का आरोप लगाया
मरीजों के परिजन का आरोप है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में लापरवाही की वजह से मरीजों की मौत हो रही है। शंकरराव चव्हाण अस्पताल के अधीक्षक डॉ. गणेश मनुरकर ने बताया कि गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए खास प्रयास किए जा रहे हैं। नवजातों के लिए 42 बेड की व्यवस्था की गई, जो स्टाफ छुट्टी पर हैं उन्हें वापस बुलाया गया है।

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि सरकारी अस्पताल में हुई हर मरीज की मौत की जांच होगी। अगले 15 दिनों में अस्पताल में हालात बेहतर हो जाएंगे। शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत का मामला 2 अक्टूबर को मीडिया में आया था। इस बारे में जब अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछा गया तो दिनभर (2 अक्टूबर) को इन मौतों को सामान्य घटना बताता रहा। प्रशासन ने कहा कि 4 मरीजों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। 1 मरीज का लिवर फेल हुआ था। 1 मरीज की मौत जहर खाने, 2 की संक्रमण और 1 महिला की मौत डिलीवरी के वक्त ज्यादा ब्लड बहने से हुई। वहीं, अन्य मौतों की जांच चल रही है।

हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद की
2 अक्टूबर की शाम अस्पताल के अधीक्षक डॉ. श्याम राव वाकोड़े ने कहा कि अस्पताल में स्नेक बाइट (सांप के काटने) और अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कमी है। हाफकिन कंपनी ने दवाओं की आपूर्ति बंद कर दी है। अस्पताल से लगातार कर्मचारियों का तबादला किया जा रहा है, ऐसे में हमारे पास स्टाफ भी कम है।

70-80 किमी के दायरे में एक सरकारी अस्पताल
अस्पताल के डीन ने बताया था कि पिछले 24 घंटों में 6 लड़के और 6 लड़कियों की मौत हुई है। हम थर्ड लेवल के देखभाल केंद्र हैं और 70 से 80 किलोमीटर के दायरे में एकमात्र सरकारी अस्पताल हैं। इसलिए दूर-दूर से मरीज हमारे पास आते हैं। डीन ने बताया कि हमें हाफकिन नाम के एक संस्थान से दवाइयां खरीदनी थीं, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए हमने स्थानीय स्तर पर दवाएं खरीदीं और मरीजों को मुहैया कराईं। कुछ दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है और यह बजट के लिए समस्या पैदा कर देती है।

साभार : दैनिक भास्कर

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