मास्को. चीन (China) ने पिछले हफ्ते 28 अगस्त को एक नया मैप जारी किया था, जिसमें उन्होंने भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा दिखाया था. इसके अलावा उन्होंने रूसी (Russia) क्षेत्र को भी मैप में अपने हिस्से के रूप में जारी किया था. इसको लेकर रूस ने चीन के दावों को खारिज कर दिया. आपको बता दें कि अब तक रूस और भारत के अलावा इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, नेपाल और ताइवान ने नए मैप का विरोध दर्ज कर चुके हैं.
चीन ने अपने नए मैप में जमीन से लेकर समुद्री एरिया को चीनी क्षेत्र के रूप में दिखाया है. चीन को रूस का सबसे नजदीकी दोस्त माना जाता है. इसके बावजूद रूस के एरिया को मैप में दिखाना कई तरह के सवाल खड़ा करता है. चीनी मैप रूसी क्षेत्र को दिखाए जाने के बाद रूस ने भारत सरीखे प्रतिक्रिया तो नहीं दी, लेकिन उसने चीनी दावों को खारिज कर दिया और कहा कि यह नक्शा 2005 में विवाद को समाप्त करने के लिए हस्ताक्षरित द्विपक्षीय समझौते के खिलाफ है. अब इस मामले के बाद ये देखना जरूरी है कि चीन और रूस के रिश्ते में क्या नया मोड़ आ सकता है. क्या उनकी दोस्ती पहले की तरह रहेगी या दरार आ जाएगी? ये देखना दिलचस्प होगा.
चीनी क्षेत्र के रूप में दावा किया
चीनी मैप ने बोल्शोई उस्सुरीस्की द्वीप को पूरी तरह से चीनी क्षेत्र के रूप में दावा किया. चीन और रूस ने दशकों के संघर्ष के बाद उस्सुरीस्की द्वीप से जुड़े विवाद को 2005 में सुलझाया था. इसके बाद विवादित उस्सुरीस्की द्वीप का विभाजन 2008 तक पूरा हो गया था. समझौते के तहत चीन को द्वीप के 350 वर्ग किलोमीटर में से 170 के साथ-साथ आसपास के कुछ अन्य द्वीप भी मिले. इसके बाद रूस ने विवादित क्षेत्र का बाकी का हिस्सा अपने पास रखा. हालांकि, चीन ने रूस को मिले हिस्से को भी अपने नक्शे में दिखा दिया, जिस पर रूस ने चीन के दावे को खारिज कर दिया. यह द्वीप और आसपास का क्षेत्र उससुरी और अमूर नदियों के संगम पर है, जो रूस और चीन को अलग करती हैं. इस क्षेत्र के नियंत्रण के बारे में सबसे पहले साल 1860 के दौरान सवाल उठाए गए थे.
साभार : एबीपी न्यूज़
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