हैदराबाद. तेलंगाना में शानदार जीत के बाद कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री पद के लिए नॉमिनेट कर दिया है। लेकिन इसी बीच रेवंत रेड्डी का एक बयान उनके गले की मुसीबत बन गया है। एक कार्यक्रम के दौरान अपने एक बयान में रेवंत रेड्डी ने खुद को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री केसीआर से बेहतर बताया था। केसीआर पर हमला करते हुए उन्होंने उन्हें बिहार के कुर्मी डीएनए का व्यक्ति बताया, जबकि खुद को तेलंगाना का मूल निवासी बताते हुए केसीआर से बेहतर बताया। भाजपा ने रेड्डी के इस बयान पर कांग्रेस पर जबरदस्त हमला किया है। साथ ही पार्टी ने पूछा है कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भी कांग्रेस के साथ बने रहेंगे?
इंडिया गठबंधन का संकट और बढ़ गया
रेवंत रेड्डी का यह बयान इस संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है कि कांग्रेस नेताओं के द्वारा इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेताओं के लिए कथित रूप से अभद्र बयानबाजी के कारण इंडिया गठबंधन का संकट और बढ़ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा आज छह दिसंबर को दिल्ली में बुलाई गई बैठक केवल इसलिए स्थगित करनी पड़ी क्योंकि सहयोगी दलों ने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया।
इन लोगों ने किया किनारा
इसका मूल कारण मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता कमलनाथ की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए विधानसभा चुनाव के दौरान अभद्र बयानबाजी को भी माना जाता है। कमलनाथ के बयान से नाराज अखिलेश यादव ने खुद इंडिया गठबंधन की इस बैठक में आने से इनकार कर दिया। उनके साथ-साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बैठक में आने से इनकार कर दिया। अंततः यह बैठक स्थगित करनी पड़ी। लेकिन इसे लेकर यहां तक कहा जा रहा है कि अब इंडिया गठबंधन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है।
हिंदू धर्म सनातन का अपमान किया
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने अमर उजाला से कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की अनेक नेताओं ने लगातार हिंदू धर्म सनातन, हिंदी और बिहार, बिहारी का अपमान किया है। डीएमके सांसद के द्वारा हिंदू धर्म पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में अभी तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया है इसी बीच उनके तेलंगाना के नॉमिनेटेड मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने बिहार और कुर्मी जाति का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव से यह पूछना चाहते हैं कि बिहार और बिहारी का अपमान करने वाले ऐसी पार्टी और ऐसे नेताओं से वे अपना संबंध कब तक जारी रखेंगे। आखिर उन्हें ऐसी क्या मजबूरी है जिसके कारण उन्हें एक ऐसी पार्टी से गठबंधन करना पड़ रहा है जो लगातार हिंदी, हिंदी भाषण और सनातन धर्म के लोगों का अपमान कर रही है।
लोकसभा चुनाव में नुकसान होने की आशंका
महागठबंधन और नीतीश-लालू समीकरण के कारण भाजपा को बिहार में इस बार लोकसभा चुनाव में नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। भाजपा के पास आज भी लालू प्रसाद यादव के MY समीकरण और नीतीश कुमार के पिछड़ी कुर्मी जातियों पर पकड़ का कोई जवाब नहीं है। इस कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुछ नुकसान भी हो सकता है। लेकिन जिस तरह रेवंत रेड्डी ने कथित तौर पर बिहार और कुर्मियों का अपमान किया है, यह तय हो गया है कि जातिगत राजनीति की प्रमुखता वाले प्रदेश बिहार में भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाएगी। इससे नीतीश कुमार और लालू को नुकसान हो सकता है। वहीं भाजपा इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर आकर खेल सकती है। उसे इसका लाभ यूपी सहित पूरी हिंदी पट्टी में मिल सकता है।
साभार : अमर उजाला
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