नई दिल्ली. राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नए नियम जारी किए हैं, जिससे अब डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़नी वाली हैं। नए नियमों के अनुसार, सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखनी होंगी, ऐसा न करने पर उन्हें दंडित किया जाएगा और यहां तक कि प्रैक्टिस करने का उनका लाइसेंस भी निलंबित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने अपने ‘पंजीकृत चिकित्सा चिकित्सकों के व्यावसायिक आचरण से संबंधित विनियम’ में डॉक्टरों से ब्रांडेड जेनेरिक दवाएं लिखने से बचने के लिए भी कहा है। भले ही डॉक्टरों को अभी जेनेरिक दवाएं लिखने की आवश्यकता होती है, लेकिन एमएनसी द्वारा 2002 में जारी नियमों में कोई दंडात्मक प्रावधान का उल्लेख नहीं किया गया है।
नए नियम में क्या हुआ है बदलाव?
दो अगस्त को अधिसूचित एनएमसी के नियमों में कहा गया कि भारत में दवाओं पर अपनी जेब से किया जाने वाला खर्च स्वास्थ्य देखभाल पर सार्वजनिक खर्च का एक बड़ा हिस्सा है। बताया गया कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 30 से 80 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं। इसलिए, जेनेरिक दवाएं लिखने दवाओं की लागत में कमी आ सकती है।
जेनेरिक दवाओं पर क्यों दिया जा रहा जोर?
बता दें कि ब्रांडेड जेनेरिक दवा वह है, जो पेटेंट से बाहर हो चुकी है और दवा कंपनियों द्वारा निर्मित की जाती है और विभिन्न कंपनियों के ब्रांड नामों के तहत बेची जाती है। ये दवाएं ब्रांडेड पेटेंट संस्करण की तुलना में कम महंगी हो सकती हैं, लेकिन दवा के थोक-निर्मित जेनेरिक संस्करण की तुलना में महंगी हैं।
साभार : दैनिक जागरण
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