शिलांग (मा.स.स.). उमरोई सैन्य स्टेशन से भारतीय सेना की पैन नॉर्थ ईस्ट कार रैली, पूर्वोत्तार भारत परिक्रमा झंडी दिखाकर रवाना की गई थी। 20 दिनों में 9 राज्यों की यात्रा करने के बाद यह रैली अपने गंतव्य उमरोई सैन्य स्टेशन पर पहुंच गई है। रैली को मेघालय के राज्यपाल फागू चौहान ने झंडी दिखाकर रवाना किया था। सूबेदार और मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, परमवीर चक्र (सेवानिवृत्त) भी रैली का हिस्सा थे और उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के युवाओं से प्रेरक बातचीत की तथा राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
इस कार रैली को आर्मी कमांडर मुख्यालय पूर्वी कमान, लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम ने 22-23 मार्च को फोर्ट विलियम्स, कोलकाता से झंडी दिखाकर रवाना किया था। रैली ने 22 दिनों में लगभग 4000 किलोमीटर की दूरी तय की और यह सुंदर मार्गों तथा दुर्गम इलाकों से होकर गुजरी। इसने विभिन्न युद्ध स्मारकों का दौरा किया, स्कूलों और कॉलेजों में प्रेरक वार्ता की तथा पूर्वोत्तर भारत के कई अन्य ऐतिहासिक स्थानों का पता लगाया। रैली का सभी जगहों पर गर्मजोशी से स्वागत किया गया और लोगों द्वारा पूरी यात्रा के दौरान स्नेह की बौछार की गई। कई गणमान्य व्यक्तियों ने भी विभिन्न राज्यों की यात्रा के दौरान इस कार रैली का स्वागत किया और टीम से बातचीत की तथा उसकी सराहना की।
ध्वजारोहण समारोह में मेघालय के राज्यपाल फागू चौहान ने भाग लिया। राज्यपाल को मेजर जनरल एस मुरुगेसन ने सम्मानित किया। राज्यपाल ने टीम लीडर, ब्रिगेडियर केएम शेंडे, शौर्य चक्र और सूबेदार मेजर और मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव, परमवीर चक्र को सम्मानित किया और राष्ट्र की सेवा में भारतीय सेना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मेघालय में सेना और नागरिक प्रशासन के बीच उत्कृष्ट समन्वय पर भी प्रकाश डाला। राज्य के पूर्व सैनिकों और बुज़ुर्गों की सहायता के लिए भारतीय सेना के प्रयासों की सराहना की। इस कार रैली का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता, भाईचारा और राष्ट्रीय अखंडता को बढ़ावा देना और समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाना तथा एक “नए भारत” का निर्माण करना था, जो अधिक मजबूत और समृद्ध हो। इस रैली ने भारतीय सेना और अग्निवीर कार्यक्रम के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया। यह आयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने और पर्यटन को प्रोत्साहित करने वाला एक बड़ा मंच था। यह कार्यक्रम “आज़ादी का अमृत महोत्सव” के भाग के रूप में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के तहत पूर्वोत्तर परिषद के सहयोग से आयोजित किया गया था।
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