नई दिल्ली. लॉ कमीशन ने शुक्रवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर आम लोगों और संगठनों से सुझाव लेने की तारीख बढ़ा दी। अब UCC पर लोगों के सुझाव 28 जुलाई तक स्वीकार किए जाएंगे। पहले यह तारीख 14 जुलाई तय की गई थी। 14 जून को नोटिस जारी करते हुए आम लोगों और संगठनों से सुझाव मांगे थे। शुक्रवार तक कमीशन को 50 लाख से ज्यादा सुझाव मिल चुके हैं। आयोग का मानना है कि यह मुद्दा देश के हर नागरिक से जुड़ा है, ऐसे में कोई फैसला लेने से पहले उनकी राय जानना जरूरी है। UCC पर सुझाव देने की आखिरी तारीख 14 जुलाई तय की गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को मध्य प्रदेश में एक जनसभा के दौरान यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में UCC के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो वो घर नहीं चल पाएगा। ऐसे में दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।
इसके बाद कांग्रेस, AIMIM चीफ असदुद्दीन आवैसी समेत विपक्षी पार्टियों ने भाजपा पर मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की साजिश बताया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बॉर्ड ने भी मंगलवार को मीटिंग बुलाई और अपना पक्ष लॉ कमीशन के सामने रखने की बात कही। लॉ कमीशन के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी का भी बयान सामने आया था। उन्होंने कहा- UCC कोई नया मुद्दा नहीं है। हमने कंसल्टेशन प्रोसेस भी शुरू कर दी है। इसके लिए कमीशन ने आम जनता की राय मांगी है। जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने देशद्रोह कानून पर भी बात की। उन्होंने कहा- देश की एकता और अखंडता के लिए देशद्रोह कानून जरूरी है। कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में भी देशद्रोह से जुड़ी हुई धारा 124 A को इंडियन पीनल कोड (IPC) में बरकरार रखने की सिफारिश की है।
साभार : दैनिक भास्कर
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