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कलावा और तिलक देखकर हत्या करने वाले आतंकवादियों को मिली मौत की सजा

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लखनऊ. कानपुर में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड मामले में गुरुवार को इस्लामिक स्टेट के आतंकी आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को फांसी की सजा सुनाई गई। साथ ही पांच-पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। बीते चार सितंबर को एनआईए और एटीएस के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्र ने दोनों आतंकियों को दोषी करार दिया था।

दोनों आतंकियों के खिलाफ कानपुर जनपद के चकेरी के रहने वाले अक्षय शुक्ला ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट चकेरी थाने में दर्ज की गई थी। उनके मुताबिक दिनांक 24 अक्टूबर 2016 को उनके पिता रमेश बाबू शुक्ला स्कूल से पढ़ा के आ रहे थे, तो किसी उन्हें गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी।

सात मार्च 2017 को एक अन्य रिपोर्ट विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के अंतर्गत मध्यप्रदेश के उज्जैन थाना जीआरपी में ट्रेन के गार्ड द्वारा अज्ञात लोगों के विरुद्ध दर्ज करवाई गई थी। मामले में आतंकियों की संलिप्ता को देखते हुए उक्त प्रकरण की विवेचना एटीएस को स्थानांतरित हुई। एटीएस ने पुन: मुकदमा दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी। विवेचना के दौरान दो अभियुक्त भोपाल व कानपुर से गिरफ्तार किए गए थे।

हाथ कलावा और माथे पर लगे त‍िलक को देख मारी थी गोली

विवेचना के दौरान यह तथ्य आया कि अभियुक्तगण आतिफ मुजफ्फर और मो फैसल प्रतिबंधित आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े है। अभियुक्तों इस्लामिक स्टेट के खलीफा अबु बकर अल बगदादी के नाम की बैत (शपथ) लेकर भारत के लोगों में दहशत व राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने एवं काफिरों को जान से मारने की नियत से सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला को उनके हाथ में बंधे लाल पीले धागे (कलावा) व माथे पर लगे तिलक से उनकी हिंदू पहचान सुनिश्चित करके उनकी हत्या कर दी थी।

साभार : दैनिक जागरण

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