नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वंदे भारत ट्रेन केरल के तिरुर रेलवे स्टेशन पर रुके। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह सरकार के नीति क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने पी टी शीजिश द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
सरकार को हम निर्देश नहीं दे सकते
कोर्ट ने कहा कि, “आप चाहते हैं कि वंदे भारत तिरुर में रुके। हम उन्हें (सरकार को) निर्देश नहीं दे सकते हैं। यह कार्यपालिका के नीतिगत क्षेत्र के अंतर्गत आता है।” पीठ ने ये कहते हुए याचिका खारिज कर दी। पीठ ने रेलवे अधिकारियों को एक प्रतिनिधित्व के रूप में याचिका दायर करने की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया, पीठ ने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि “हमने आपकी याचिका में कुछ तथ्य देखें हैं, जिसे स्वीकार किया जाए या नहीं किया जाए।” तिरुर केरल के मलप्पुरम जिले का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है और दक्षिणी रेलवे के प्रशासनिक क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वंदे भारत एक्सप्रेस भारतीय रेलवे द्वारा संचालित एक छोटी दूरी की ट्रेन सेवा है।
पहली वंदे भारत ट्रेन
देश की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को चेन्नई के इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री (ICF) में तैयार किया गया था। 2018 में बनने के कारण इसे ट्रेन 18 नाम दिया गया। ट्रेन की खास बता थी कि इसे पूरी तरह से भारत में डिजाइन और मैन्यूफैक्चर किया गया था। इस ट्रेन को दिल्ली- कानपुर- प्रयागराज- वाराणसी के बीच चलाया गया था।
जल्द स्लीपर वंदे भारत ट्रेन आएगी
मौजूदा समय में वंदे भारत ट्रेन को एक डे ट्रेन के रूप में चलाया जा रहा है। केंद्रीय रेल मंत्री के बयान के मुताबिक आने वाले समय में लोगों वंदे भारत ट्रेन के तीन अवतार देखने को मिल सकते हैं। पहला-वंदे चेयर कार, दूसरा- वंदे मेट्रो और तीसरी-वंदे स्लीपर। वंदे मेट्रो ट्रेन का उपयोग 100 किलोमीटर से कम, वंदे चेयर कार का उपयोग 100-550 किलोमीटर तक की यात्रा करने और वंदे स्लीपर का प्रयोग 550 किलोमीटर से अधिक की यात्रा करने के लिए किया जाता है।
साभार : दैनिक जागरण
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