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विपक्षी एकता बैठक में पहुंची 26 पार्टियां, अब एनडीए बैठक पर सबकी नजर

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नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक से पहले सोनिया गांधी ने विपक्ष के नेताओं को डिनर पर इनवाइट किया है। कांग्रेस पार्टी के मुताबिक, इसमें 26 दल के नेता शामिल हो रहे हैं। डिनर में शामिल होने के लिए लालू प्रसाद यादव, अरविंद केजरीवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, बिहार के सीएम नीतीश कुमार समेत कई नेता पहुंच चुके हैं। पार्टी में फूट के बाद शरद पवार कल सीधे बैठक में शामिल होंगे।

इधर, भाजपा ने भी 18 जुलाई को शाम 4 बजे दिल्ली के अशोका होटल में NDA की बैठक बुलाई है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने कहा कि इस मीटिंग में 38 दल शामिल हो रहे हैं। NDA की बैठक पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- मुझे ताज्जुब है कि मोदी जी ने राज्यसभा में कहा था कि मैं सभी विपक्षियों पर अकेला भारी हूं। अगर वो सभी विपक्षियों पर अकेले भारी हैं तो वो कल NDA की मीटिंग में 30 पार्टियों को क्यों बुला रहे हैं। उन 30 पार्टियों का नाम तो बताएं। वे हमारी मीटिंग से घबरा गए हैं।

इस बैठक से तेलंगाना CM के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के CM जगन मोहन रेड्‌डी, आंध्र के पूर्व CM चंद्रबाबू नायडू और ओडिशा के CM नवीन पटनायक ने दूरी बना रखी है। मीटिंग से पहले कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, विवेक तन्खा और डीके शिवकुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वेणुगोपाल यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और विपक्षी दलों के नेता के सवाल पर पत्रकारों से नाराज हो गए। उन्होंने कहा- मणिपुर में 75 दिनों से हिंसा जारी है। प्रधानमंत्री इस पर चुप हैं। सरकार चाहती है कि विपक्ष भी चुप रहे। राहुल गांधी की संसद सदस्यता अयोग्य ठहराया जाना जैसे बड़े मुद्दे हैं। देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में है। इस पर तो आप लोग सवाल नहीं उठाते।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- कुछ नेता आज नहीं आ रहे हैं कल आएंगे और यह बैठक कल सुबह होने वाली है। 11 बजे बैठक शुरू होगी और शाम 4 बजे सभी पार्टियों के नेता देश को संबोधित करेंगे, लेकिन हमारी पटना बैठक के बाद अचानक प्रधानमंत्री को NDA का ख्याल आया। NDA में एक नई जान फूंकने की कोशिश की जा रही है।

पिछली बैठक में शामिल हुए थे 17 विपक्षी दल
पहली बैठक 24 दिन पहले 23 जून को बिहार के CM नीतीश कुमार ने पटना में बुलाई थी, जिसमें 17 राजनीतिक दल शामिल हुए थे। इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट CPM, CPI (ML), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), सपा, JMM और NCP शामिल हुए थे।

8 नए दलों को मिलाकर 26 पार्टियों के नेता आएंगे
इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें ​​​​मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के साथ थीं।

मीटिंग में आज इन 24 दलों के नेता पहुंचे
कांग्रेस, TMC, CPI, CPM,NCP, JDU, DMK, AAP, झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिवसेना (UTB), RJD, सपा, J&K NC, PDP, CPI (ML), RLD, IUML, केरला कांग्रेस, केरला कांग्रेस(एम), MDMK,VCK, RSP, KMDK, AIFB। इनके अलावा दो और पार्टियां मीटिंग में शामिल हो रही हैं।

दिल्ली अध्यादेश पर कांग्रेस का साथ मिलने के बाद AAP भी जुड़ी
पहले दिल्ली के CM केजरीवाल के आने पर भी संशय बना हुआ था, लेकिन कांग्रेस ने रविवार को दिल्ली में केंद्र की तरफ से लाए गए अध्यादेश के खिलाफ AAP को समर्थन देने की घोषणा कर दी। इसके बाद केजरीवाल ने मीटिंग में शामिल होने की बात कही। दरअसल, पहली बैठक में केजरीवाल ने दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस के स्टैंड को लेकर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया तो वे दूसरी बैठक में नहीं आएंगे। पटना की बैठक में शामिल 17 में से 12 दलों का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। कांग्रेस को मिलाकर सभी 12 दलों ने केंद्र के अध्यादेश को लेकर AAP का समर्थन किया है। सभी पार्टियों ने राज्यसभा में इसका विरोध करने की बात कही है।

28 राज्यों में 10 में भाजपा और 4 में कांग्रेस की सरकार
देश के 28 राज्यों में इस समय 10 राज्यों में भाजपा ने बहुमत के साथ सरकार बनाई है। वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना का शिंदे गुट के साथ भाजपा की सरकार है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और 3 राज्यों में पार्टी का गठबंधन है।

पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए, गठबंधन से बनी थी सरकार
देश में इमरजेंसी के बाद पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए थे। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। तब कई दल एक साथ आए थे। जयप्रकाश नारायण की पहल पर जनता पार्टी का गठन हुआ। जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर सरकार भी बनाई, लेकिन उस चुनाव में भी प्रधानमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा नहीं बनाया गया था।

इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई। तब भी PM के लिए कोई चेहरा आगे नहीं किया गया था। फिर 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी को चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इसके साथ फिर PM फेस पर चुनाव लड़ने की परंपरा भी शुरू हो गई। 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था, तब UPA में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।

साभार : दैनिक भास्कर

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