पटना. सरकार के बनाए गए नियमावली के खिलाफ सड़क पर न उतरने की सरकारी चेतावनी के बाद भी नई शिक्षक नियमावली के विरोध में माध्यमिक शिक्षक संघ के बैनर तले शिक्षक अभ्यर्थी और नियोजित शिक्षकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इनलोगों ने सरकार और सरकार के नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इनका कहना है कि सरकार के पूरे नियमावली का हम विरोध नहीं करते, हमारी मांग बस इतनी है कि सरकार इसमें कुछ सुधार करे।
माध्यमिक शिक्षक संघ इस बात का कर रही विरोध
आन्दोलन कर रहे माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह का कहना है कि हमलोगों ने आज 9 प्रमंडल में सरकार के खिलाफ आन्दोलन करते हुए सभी प्रमंडल के कमिश्नरों को विज्ञप्ति सौंपा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 10 अप्रैल को अध्यापक नियमावली 2023 को लागु किया है। उसके कुछ ऐसे धाराएं हैं जिनका हमलोग विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि हम पूरे नियमावली का विरोध नहीं करते क्यों कि उस नियमावली में कुछ अच्छी बातें भी हैं जिसकी मांग हमलोग पहले से भी मांग कर रहे थे लेकिन साथ ही उसमें कुछ ऐसी भी धाराएँ हैं जिसका शिक्षक विरोध कर रहे हैं। जो पहले से काम कर रहे हैं उनके साथ ऐसा करना अन्याय है, इसलिए हम उन धाराओं के वापसी की मांग कर रहे हैं।
यह है मांग
राष्ट्रीय छात्र एकता मंच के अध्यक्ष छात्र नेता दिलीप कुमार का कहना है कि हमने बिहार सरकार से यह मांग किया है कि 6-8 वर्ग के लिए सभी रिक्त पदों पर वैकेंसी निकाली जाए, एपियरिंग मे फॉर्म भरने का मौका दिया जाए, शिक्षकों को ग्रेड पे दिया जाए और नियोजित शिक्षकों एवं नये शिक्षकों की बहाली के लिए परीक्षा अलग – अलग लिए जायें।
नियमावली का स्वागत है लेकिन संशोधन भी जरुरी
इस संबंध में दिलीप कुमार का कहना है कि नई शिक्षक नियमावली का हम स्वागत करते हैं लेकिन इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए यह आवश्यक है लेकिन इसमे कुछ संशोधन की किये जाएं।
सरकार इस बात पर करे विचार
दिलीप कुमार ने कहा कि 6-8 के लिए अभ्यर्थियों की संख्या अधिक है लेकिन कोई रिक्ति BPSC को नही भेजी गई है जबकि साठ हजार से अधिक पद इसमे खाली है। दूसरी बात यह है कि जब बीपीएससी के माध्यम से शिक्षक बहाली हो रही है तो ग्रेड पे भी मिलना चाहिए ताकि शिक्षकों को उचित सम्मान मिल सके। तीसरी बात कि बिहार मे आर्ट्स विषयों के लिए 2011 के बाद STET परीक्षा नही हुई है। चौथी बात कि नियोजित शिक्षकों और नये शिक्षक बहाली के अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा अलग-अलग लिया जाए। नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। उसके बाद नियोजित शिक्षकों की परीक्षा ली जाए। जो पास कर जाएं उन्हें शैक्षणिक कार्य की जिम्मेदारी दी जाए और जो तीन बार मे भी पास नही कर पाएंगे उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य मे लगाया जाए।
साभार : अमर उजाला
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