बेंगलुरु. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को राजनीतिज्ञ करार दिया है। उन्होंने कहा कि रघुराम राजव ऐसे पॉलिटिशन हैं जो किसी की ओर से पीछे से वार कर रहे हैं। वैष्णव की यह टिप्पणी राजन के कथित बयान पर आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना के तहत मोबाइल फोन का निर्माण नहीं कर रहा, बल्कि केवल उन्हें असेंबल कर रहा है। वैष्णव ने जोर देकर कहा, ‘जब अच्छे अर्थशास्त्री राजनीतिज्ञ बन जाते हैं, तो वे अपनी आर्थिक समझ खो देते हैं। रघुराम राजन नेता बन गए हैं।
अब, उन्हें खुलकर सामने आना चाहिए, चुनाव लड़ना चाहिए, चुनाव कराना चाहिए और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए। पीछे से वार करना कोई अच्छी बात नहीं है वह किसी और की ओर से ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं।’ मंत्री ने कहा कि अगले दो वर्षों में, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 30 प्रतिशत से अधिक मूल्यवर्धन हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा तीन कंपनियां जल्द ही दुनिया के लिए महत्वपूर्ण मोबाइल फोन घटकों का विनिर्माण करेंगी।
‘इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण किया शुरू’
रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री वैष्णव ने कहा कि हर देश जिसने इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्माण शुरू किया है, उसने पहले कंप्लीटली नॉक्ड-डाउन (सीकेडी) घटकों, सेमी नॉक्ड-डाउन (एसकेडी) को लाने और उत्पाद को ‘एसेंबल’ करने का मार्ग अपनाया है। इसके अलावा, सिस्टम के उत्पादन के बाद विभिन्न घटकों का उत्पादन होता है। मंत्री ने कहा कि आज वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला इतनी जटिल है कि कोई भी देश ऐसा नहीं है जो 40 प्रतिशत से अधिक मूल्यवर्धन का दावा कर सके। वैष्णव के अनुसार, 40 प्रतिशत उच्चतम मूल्यवर्धन है जो कोई भी देश अपने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए दावा कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत दो साल से भी कम समय में 30 प्रतिशत से अधिक मूल्यवर्धन तक पहुंच जाएगा।
भारत जोड़ो यात्रा में नजर आए थे रघुराम
मंत्री ने तंज कसते हुए कहा, ‘तो, जिस तरह की रघुराम राजन वार कर रहे हैं, यह उचित बात नहीं है। वह बहुत ही निपुण अर्थशास्त्री हैं। मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि अर्थशास्त्री ही बने रहें या राजनीति में आ जाएं।’ कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन कुछ देर के लिए राजस्थान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ थे।
साभार : नवभारत टाइम्स
भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं