लखनऊ. देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक देश, एक चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, पूरे देश में एक साथ चुनाव कराये जाने से कई सहुलियतें हो जाएंगी. यह राष्ट्रहित में उठाया जाने वाला कदम है, मैं सभी राजनीति पार्टियों से इस विषय पर चर्चा करके एक मत बनाने का आग्रह करता हूं. उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कोविंद ने आगे कहा, ‘अगर एक देश में एक चुनाव होता है तो उस पार्टी को लाभ होगा जो केंद्र में सत्ता में है, चाहे वह बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) हो, कांग्रेस हो, या कोई अन्य राजनीतिक दल हो. इससे जनता को सबसे ज्यादा फायदा होगा और एक साथ चुनाव से पैसा बचाकर जो राजस्व आएगा उसका उपयोग देश के विकास में किया जा सकेगा.’
देश में क्यों होने लगे एक साथ चुनाव?
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि एक साथ चुनाव को लेकर जितने भी संसदीय पैनल बने हैं, नीति आयोग और भारतीय चुनाव आयोग समेत कई समितियों ने एक साथ चुनाव कराने के समर्थन में अपनी रिपोर्ट सौंपी है. स्वतंत्र भारत में 1952 में पहले चुनाव से लेकर 1967 तक पूरे देश में एक साथ चुनाव होते रहे लेकिन चूंकि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं को उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले भंग किया जा सकता है, इसलिए राज्य और राष्ट्रीय चुनाव अलग-अलग समय पर होने लगे.
सरकार ने गठित की थी कमिटी
मोदी सरकार ने एक देश में एक चुनाव कराए जाने को लेकर एक कमिटी का गठन किया था. कोविंद ने कहा, सरकार ने मुझे इस कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है. कोविंद ने कहा, समिति के सदस्य जनता के साथ मिलकर इस परंपरा को फिर से लागू करने के संबंध में सरकार को सुझाव देंगे. कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने देश के सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर देश भर में एक साथ विधानसभा और राष्ट्रीय चुनाव कराने पर अपने विचार पेश करने के लिए तीन महीने का समय मांगा था.
साभार : एबीपी न्यूज़
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