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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रुका ज्ञानवापी का एएसआई सर्वे

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लखनऊ. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार सुबह सात बजे से सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्से का सर्वे शुरू कर दिया। करीब साढ़े पांच घंटे तक इमारत के पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी दीवार की माप-जोख डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से की गई। दीवारों की फोटो खींची गई और वीडियोग्राफी कराई गई। इमारत की नींव के पास से मिट्टी और ईंट-पत्थर के नमूने जुटाए गए।

इसी बीच पता चला कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (26 जुलाई) शाम  पांच बजे तक सर्वे पर रोक लगा दी है। इसके बाद डीएम, मंडलायुक्त और वादी पक्ष के साथ ही एएसआई की टीम ज्ञानवापी परिसर से बाहर चली गई। इससे पहले अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे का बहिष्कार किया था। मसाजिद कमेटी की तरफ से कोई प्रतिनिधि ज्ञानवापी परिसर नहीं पहुंचा था।

पहले दिन कहीं नहीं हुई खोदाई

सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक टीम ज्ञानवापी परिसर में रही। ज्ञानवापी परिसर से बाहर आईं हिंदू पक्ष की चार वादिनी और उनके अधिवक्ताओं ने साफ किया कि पहले दिन कहीं खोदाई नहीं हुई है। एएसआई की टीम ने लगभग दो घंटे तक मौजूदा इमारत के कोने-कोने का जायजा लिया। सील वजूखाने को दूर से ही देखा।

चारों तरफ की फोटो खींची गई और वीडियो शूट किए गए। वीडियोग्राफर और फोटोग्राफर एएसआई के साथ ही प्रशासन के भी थे। उधर, इस संबंध में मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी होते ही एएसआई ने सर्वे का काम रोक दिया। अब बुधवार की शाम पांच बजे के बाद इस संबंध में अदालत के आदेश से ही एएसआई आगे का निर्णय लेगा।

जिला जज की अदालत ने चार अगस्त तक मांगी है सर्वे रिपोर्ट

जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कर रिपोर्ट चार अगस्त तक देने का आदेश एएसआई को बीते 21 जुलाई को दिया था। इसी क्रम में लखनऊ, आगरा, दिल्ली, पटना और वाराणसी से एएसआई की 43 सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम सोमवार की सुबह 6:30 बजे श्री काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर-4 पर पहुंची।

विशेषज्ञों की चार टीम ने चार अलग-अलग दिशा में किया सर्वे

श्री काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार के सामने एएसआई की टीम पुलिस सुरक्षा में सुबह 6:30 बजे ही पहुंच गई थी। कुछ देर बाद गेट खुला, फिर विशेषज्ञों और उनके उपकरणों की जांच की गई। फिर, पुलिस सुरक्षा में उन्हें ज्ञानवापी परिसर की तरफ भेजा गया। विशेषज्ञों की चार टीम चार अलग-अलग दिशा में लगभग दो घंटे तक मुआयना कर इमारत को देखती रही। इसके बाद सर्वे का काम शुरू हुआ। टीम का फोकस सबसे ज्यादा देर तक इमारत की पश्चिमी दीवार पर रहा। हिंदू पक्ष हमेशा कहता रहा है कि इसी तरफ से मां श्रृंगार गौरी के मंदिर का द्वार खुलता है।

सुबह से ही रहा गहमागहमी का माहौल

एएसआई के सर्वे को लेकर ज्ञानवापी परिसर के आसपास के इलाके में सोमवार की सुबह से ही गहमागहमी रही। सावन के तीसरे सोमवार को बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन करने आए लोग ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की बात जानकर हर-हर महादेव का उद्घोष करने लगे। मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और डीएम एस. राजलिंगम के साथ ही पुलिस-प्रशासन के आला अफसर  काशी विश्वनाथ धाम में मौजूद थे। डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी और एडीएम प्रोटोकॉल बच्चू सिंह एएसआई की टीम के साथ ज्ञानवापी परिसर में थे।

हाईकोर्ट के आदेश पर टिका एएसआई सर्वे का भविष्य

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मसाजिद कमेटी ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से संबंधित याचिका मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने हर हाल में 26 जुलाई की शाम 5 बजे से पहले ज्ञानवापी सर्वे पर हाईकोर्ट को अपना आदेश पारित करने को कहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर अब ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का भविष्य टिका दिख रहा है।

मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट को किया गुमराह

इधर, हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर जिला न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है और इलाहाबाद कोर्ट को मामले पर नए सिरे से फैसला करने के लिए कहा है। हम अपनी दलील हाईकोर्ट में रखेंगे। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और कहा कि वहां खुदाई शुरू हो गई है, जो सच नहीं है।

साभार : अमर उजाला

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