नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में डॉ. बी आर आंबेडकर की 7 फुट से ऊंची प्रतिमा लगी है। संविधान दिवस (26 नवंबर) के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसका अनावरण किया। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों समेत तमाम हस्तियों ने डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि दी। अपनी बारी में सीजेआई ने बताया कि यह प्रतिमा लगाने का विचार उन्हें कानून मंत्री से आया था। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके मेघवाल के साथ अक्सर बैठकें होती हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी उनके (मेघवाल) के साथ न्यायपालिका की स्थिति, नियुक्तियों, ट्रांसफर, बजट, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी… हमारा काम 20 मिनट से आधे घंटे में खत्म हो जाता है… लेकिन उसके बाद रविवार की दोपहर को, उसके बाद डेढ़ घंटे बस समाज की बात करते हैं… विचार की बात करते हैं, विजन की बात करते हैं… तो उन्होंने यह विचार मेरे दिमाग में डाला।’
सीजेआई ने आगे बताया, ‘उन्होंने कहा कि डॉ आंबेडकर के बतौर वकील एनरोलमेंट को 100 साल पूरे हो रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट कुछ करता क्यों नहीं?’ इसके बाद, सीजेआई ने अपने स्टाफ की सराहना करने के लिए कानून मंत्री की सराहना की। चीफ जस्टिस ने उमा और अनुराग का नाम लिया। उन्होंने कहा कि ‘जब मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस था, तब अनुराग मेरे युवा इंटर्न थे।’ उन्होंने कहा कि अनुराग बहुजन समाज से आते हैं और खूब पढ़ते हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने इस मौके पर कहा, ‘न्याय का उद्देश्य इसे सभी के लिए सुलभ बनाकर सर्वोत्तम तरीके से पूरा किया जा सकता है। इससे समानता को भी बल मिलता है। हमें खुद से पूछना चाहिए, खासकर आज जैसे मौकों पर, क्या हर एक नागरिक न्याय पाने की स्थिति में है।’
क्यों मनाते हैं संविधान दिवस
साल 1949 में, 26 नवंबर को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। पहले इसे कानून दिवस के रूप में मनाते थे, अब 6 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। जैसा कि राष्ट्रपति ने भी कहा, ‘2015 में, जब राष्ट्र ने संविधान के प्रमुख वास्तुकार, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की 125वीं जयंती मनाई, भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया।’
साभार : नवभारत टाइम्स
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