नई दिल्ली (मा.स.स.). प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मन की बात’ कार्यक्रम का 100वां एपिसोड आगामी 30 अप्रैल, 2023 को प्रसारित होने जा रहा है। ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड के प्रसारण को ऐतिहासिक बनाने और इसे व्यापक स्वरूप देने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक विस्तृत कार्यक्रम जारी किया है जिसके तहत देशभर के बूथ स्तर पर लगभग 4 लाख सेंटरों में इसके प्रसारण की अभूतपूर्व व्यवस्था की जा रही है। हर विधानसभा में लगभग 100 से अधिक स्थानों पर इसे बड़े स्तर पर आयोजित किया जाएगा जिसमें स्थानीय सांसद, विधायक एवं चुने गए जन-प्रतिनिधि तथा पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं पार्टी कार्यकर्ता कार्यक्रम के संयोजन की व्यवस्था में सम्मिलित हैं। साथ ही साथ, सिविल सोसायटी, देश भर के विभिन्न सामजिक संगठन एवं अन्य संस्थाएं भी इसमें बढ़-चढ़ कर भाग लेने के लिए आगे आ रही हैं।
यही नहीं, विश्व भर में प्रवासी भारतीय भी इसमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी, केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह जी सहित पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता देश के विभिन्न स्थानों पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भाग लेंगे। ‘मन की बात’ कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों एवं चुने हुए जन-प्रतिनिधियों को जिम्मेदारियां दी गई हैं। प्रदेश पदाधिकारियों को एक-एक जिले की जिम्मेदारी दी गई है। सभी सांसद, विधायक एवं जन-प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अहर्निश परिश्रम कर रहे हैं। आकाशवाणी द्वारा प्रसारित किए जाने वाले इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री जी देश की जनता से सीधा संवाद करते हैं। ‘मन की बात’ का प्रसारण 3 अक्टूबर, 2014 को प्रारंभ हुआ था। इस कार्यक्रम की व्यापकता और स्वीकार्यता का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसे 52 भारतीय भाषाओं – बोलियों व 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित किया जाता है।
यह कार्यक्रम सर्वाधिक लोकप्रिय कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से गैर-राजनीतिक है। ज्ञात हो कि 27 जनवरी, 2015 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी प्रधानमंत्री जी के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री जी ने भारतीय जनमानस के साथ सीधा संवाद स्थापित किया है। प्रधानमंत्री जी मन की बात के माध्यम से एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने के लिए जाने जाते हैं, जहां लोग उनसे खुलकर बात कर सकते हैं। इन सभी प्रसारणों का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के साथ चरित्र-निर्माण करना भी रहा है। ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान के माध्यम से बालिकाओं की गरिमा को बढ़ावा देने का अभियान हो, #StatueCleaning अभियान के माध्यम से हमारे नायकों को श्रद्धांजलि देना हो या ‘फिटइंडिया’ अभियान के माध्यम से फिटनेस को बढ़ावा देना हो, चाहे कोविड-19 महामारी का कठिन समय हो या देश के सामने कोई अन्य त्रासदी हो, प्रधानमंत्री मोदी ने देश की जनता को हमेशा आशा कि किरण दिखाई है।
उनके भरोसा देने वाले शब्द नागरिकों के लिए उत्साहजनक और सुकून देने वाले रहे हैं। मन की बात में प्रधानमंत्री मोदी जी ऐसे विभिन्न विषयों की चर्चा करते रहे है, जो राजनीति से परे है। उन्होने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां, आम नागरिकों के किस्से, सशस्त्र बालों की वीरता, युवा संबंधित मुद्दे, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन संबंधी मुद्दे, जैसे अनेक मुद्दों पर प्रभावी रूप से चर्चा की है। प्रधानमंत्री की मन की बात कार्यक्रम की संवाद शैली का प्रभाव यह भी रहा है कि आम जनता के बीच बेहतर तरीके से कनेक्ट करते हुए, वे श्रोताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने में भी सफल हुए है। यही कारण है कि मोदी जी के निर्णायक नेतृत्व के प्रति देशभर की आम जनता में भरोसा बढ़ता ही जा रहा है। यही नहीं नागरिकों से सीधी बात तथा प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से उनके मार्गदर्शन के कारण दिनों-दिन मन की बात के श्रोताओं की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने संस्कृति, लोक परंपराओं, भाषा, लोगों की कहानियाँ और त्यौहार जो पहले मुख्यधारा में शामिल नहीं थे, उनसे अवगत करवाने के लिए प्रभावी ढंग से इस मंच का उपयोग उन्होने किया है। उन्होने सफलतापूर्वक विभिन्न पीढ़ियों के बीच एक पुल बनाया है और उन सभी को एक मंच पर लाने का प्रयास भी किया है। मन की बात के माध्यम से प्रसारित बातचीत और विचारों ने राष्ट्रीय पुनरुत्थान को भी गति दी है। मन की बात कार्यक्रम ने आम लोगों के मनन और चिंतन के दृष्टिकोण को विकसित किया है। पिछले दिनों आईआईएम रोहतक के द्वारा मन की बात पर एक विस्तृत सर्वे किया गया, सर्वे के अनुसार – मन की बात कार्यक्रम से देश के लगभग 96 प्रतिशत लोग परिचित हैं। अभी तक इस कार्यक्रम को लगभग 100 करोड़ से ज़्यादा लोग सुन चुके हैं।
लगभग 23 करोड़ लोगों ने मन की बात कार्यक्रम को नियमित रूप से देखा/सुना है। इसी सर्वे के अनुसार – मन की बात नागरिकों के व्यवहार, विचार एवं मनोस्थिति को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। लगभग 60 प्रतिशत लोगों ने राष्ट्र निर्माण के लिए कार्य करने में रूचि दिखाई है। लगभग 55 प्रतिशत लोग राष्ट्र के एक जिम्मेदार नागरिक बनने की पुष्टि करते हैं। आईआईएम रोहतक की स्टडी में आये विश्लेषण मन की बात की व्यापकता के आंकड़े बताते है। लगभग 73 प्रतिशत लोग देश की प्रगति के बारे में आशावादी महसूस करते हैं।
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