नई दिल्ली. नए साल पर ISRO की बड़ी उपलब्धि, ब्लैक होल की स्टडी के लिए XpoSAT का सफल प्रक्षेपण; और क्या-क्या खुलासे करेगा मिशन? पिछले साल मिशन चंद्रयान की कामयाबी और आदित्य-L1 मिशन की लॉन्चिंग के बाद ISRO ने नए साल का स्वागत एक और शानदार अभियान के साथ किया. ब्लैक होल (Black Hole) जैसी आकाशीय रहस्यों को समझने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने XPoSAT यानी एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट का सफल प्रक्षेपण किया है.
श्रीहरिकोटा स्थित स्पेस रिसर्च सेंटर से PSLV-C58 रॉकेट से XPoSAT और 10 अन्य सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया गया है, जो महज 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर चला गया. इस रॉकेट का ये 60वां मिशन है. इस मिशन पर ISRO चीफ एस सोमनाथ ने कहा, ‘1 जनवरी 2024 को PSLV का एक और लॉन्च मिशन सफल हुआ है.’
एक साल के भीतर तीसरा मिशन
ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाने के लिए एक साल से भी कम समय में ये भारत का तीसरा मिशन है. 14 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 मिशन ऐतिहासिक रहा था, जिसमें देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा था. इसके बाद 2 सितंबर, 2023 को पहला सोलर मिशन आदित्य-एल1 लॉन्च किया गया था, जो सूर्य की संरचना और अन्य खगोलीय गतिविधियों को लेकर अध्ययन करेगा. और अब 1 जनवरी को इसरो ने इस साल का पहला ऐतिहासिक मिशन लॉन्च किया है.
XpoSAT के अलावा ये 10 सैटेलाइट भी लॉन्च
इसरो के इस मिशन के अंतर्गत XpoSAT के अलावा 10 अन्य सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए हैं. रेडिएशन शील्डिंग एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल, जिसे टेकमी 2 स्पेस कंपनी ने बनाया है. एक सैटेलाइट महिलाओं का बनाया हुआ है. इसे LBS महिला तकनीकी संस्थान ने तैयार कराया है. इसके साथ ही बिलीफसैट, एक रेडियो सैटेलाइट है, जो KJ सोमैया तकनीकी संस्थान ने शौकिया तौर पर तैयार कराया था.
इनके अलावा इंस्पेसिटी स्पेस लैब निर्मित ग्रीन इम्पल्स ट्रांसमीटर, ध्रुव स्पेस निर्मित लॉन्चिंग एक्सपीडिशंस फॉर एस्पायरिंग टेक्नोलॉजीस टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर सैटेलाइट, बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस के बनाए 2 सैटेलाइट- रुद्र 0.3 HPGP और आर्का 200, इसरो के PRL की ओर से तैयार किया गया डस्ट एक्सपेरिमेंट सैटेलाइट और विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की ओर से तैयार किया गया फ्यूल सेल पावर सिस्टम और सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जा सेल भी लॉन्च किया गया.
क्यों अहम है मिशन, क्या-क्या होगा?
XPoSAT का लक्ष्य ब्लैक होल का रहस्य समझना और दूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है. XPoSAT मिशन में PSLV ने अपनी 60वीं उड़ान भरी. 469 किलोग्राम के XPoSAT को ले जाने के अलावा, 44 मीटर लंबा, 260 टन के रॉकेट ने 10 एक्सपेरिमेंट्स के साथ इसने उड़ान भरी. XPoSAT ब्रह्मांड और इसके सबसे स्थाई रहस्यों में से एक ‘ब्लैक होल’ के रहस्यों से पर्दा उठाएगा. इसके अलावा इस मिशन में कई जैसी खगोलीय रचनाओं का अध्ययन और रहस्यों का खुलासा किया जाएगा.
इसरो के अनुसार, XPoSAT खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक सैटेलाइट है. इस मिशन में XPoSAT के साथ साथ 10 अन्य सैटेलाइट भी धरती की निचली कक्षा में स्थापित होंगे. इस मिशन का जीवनकाल करीब 5 साल का है. भारत एक एडवांस्ड एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी लॉन्च करने वाला दुनिया का दूसरा देश बन गया है, जो विशेष रूप से ब्लैक होल और न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी के लिए तैयार किया गया है. इसरो ने बताया है कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित स्टडी अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण है और इस संदर्भ में XPoSAT मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा.
इसरो ने बताया कि पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है. ये पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक वगैरह को समझने में मदद करता है. इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को ठीक से समझने में मदद मिलेगी.
साभार : एनडीटीवी
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