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हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार किया तीन निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा

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शिमला. हिमाचल प्रदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने तीनों निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं. अब तीनों निर्दलीय विधायक कृष्ण लाल ठाकुर, होशियार सिंह और आशीष शर्मा विधानसभा के सदस्य नहीं रहे. कृष्ण लाल ठाकुर- नालागढ़, होशियार सिंह- देहरा और आशीष शर्मा- हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को अपने सदस्यता से इस्तीफा दिया था और 23 मार्च को बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. आने वाले छह महीने में हिमाचल प्रदेश के तीन अन्य विधानसभा क्षेत्र में भी उपचुनाव होंगे.

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि 22 मार्च को तीन निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा दिया था. 23 मार्च को तीनों निर्दलीय विधायक दिल्ली में बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की वजह से फैसले सुनने में कुछ वक्त लगा. कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि सत्तापक्ष के सदस्य जगत सिंह नेगी की ओर से दल बदल कानून के तहत तीन निर्दलीय विधायकों की सदस्यता रद्द करने को लेकर भी एक याचिका आधार की गई है.

मामले में कम सख्ती बरती- कुलदीप सिंह पठानिया

हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष का मुख्य फैसला तीनों निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जाना ही है. कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि उन्होंने मामले में सख्ती बरती और कठोर फैसला नहीं दिया. विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के पास तीनों निर्दलीय विधायकों के सदस्यता रद्द करने का भी विकल्प था, क्योंकि इससे संबंधित सत्तापक्ष के सदस्य और सरकार में मंत्री कुलदीप जगत सिंह नेगी की ओर से याचिका दायर की गई थी.

तीनों निर्दलीय विधायकों ने अपना इस्तीफा स्वीकार होने पर खुशी जाहिर की है. नालागढ़ के विधायक रहे कृष्ण लाल ठाकुर ने कहा कि ‘यह देर आए, दुरुस्त आए’ जैसा है. उन्होंने कहा कि वह चाहते थे कि सभी निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पहले ही स्वीकार हो जाते, ताकि लोकसभा चुनाव के साथ ही यह उपचुनाव भी होते. बावजूद इसके उन्होंने स्पीकर के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है.

कृष्ण लाल ठाकुर ने कहा कि अब उन्हें अगर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की ओर से टिकट मिलता है, तो वह उपचुनाव लड़ेंगे. बता दें कि तीनों निर्दलीय विधायकों ने इस्तीफा स्वीकार न होने के मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की हुई है. संभव है कि तीनों निर्दलीय विधायक अब जल्द ही यह याचिका हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से वापस ले लें.

क्या है पूरा घटनाक्रम?

बता दें कि 27 फरवरी को हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की सीट के लिए चुनाव हुआ. इस राज्यसभा चुनाव में अल्पमत के बावजूद बीजेपी के हर्ष महाजन की जीत हो गई थी. कांग्रेस के छह विधायकों ने अपने प्रत्याशी डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी के स्थान पर हर्ष महाजन को वोट दिया और बगावत कर दी. छह कांग्रेस विधायकों के साथ तीन निर्दलीय विधायकों ने भी हर्ष महाजन को ही वोट दिया था. इसके बाद से ही छह कांग्रेस विधायक और तीन निर्दलीय विधायक हिमाचल प्रदेश से बाहर चल गए थे.

छह कांग्रेस विधायकों की सदस्यता को तो बजट पर वोटिंग के लिए जारी व्हिप के उल्लंघन में विधानसभा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, लेकिन तीनों निर्दलीय विधायक ने इससे अलग 22 मार्च को इस्तीफा दिया था. अब संभव है कि तीनों निर्दलीय रहे विधायकों को बीजेपी के चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाएगी. इससे पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए सभी छह पूर्व विधायकों को भी बीजेपी ने उपचुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया.

साभार : एबीपी न्यूज

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