मुंबई. महाराष्ट्र के मालवन के राजकोट किले में गिरी छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति में जंग लगी सामग्री का इस्तेमाल हुआ था. सिंधुदुर्ग पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में यह खुलासा किया. गुरुवार को आरोपी मूर्तिकार और ठेकदार जयदीप आप्टे और सलाहकार चेतन पाटिल को कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने 10 सितंबर तक पुलिस रिमांड का आदेश दिया है.
पुलिस ने कोर्ट में बताया कि मूर्ति के पास जो सामग्री बरामद की गई है. वे जंग लगी हुई थी. यह पता लगाने की जरूरत है कि मूर्ति निर्माण में घटिया गुणवत्ता वाली वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया था या नहीं. पुलिस ने कोर्ट से कहा कि आरोपियों से पूछताछ की जरूरत है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 35 फीट ऊंची मूर्ति को डिजाइन करने और बनाने में उन लोगों ने किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया था.
आप्टे और पाटिल को 10 सितंबर तक पुलिस रिमांड
शिवाजी की मूर्ति 26 अगस्त को मालवन तहसील में राजकोट किले में टूट कर गिर गई थी. लगभग नौ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस के अवसर पर इस मूर्ति का अनावरण किया था. मूर्ति गिरने के बाद पुलिस की ओर से केस दर्ज किया गया था. उसके बाद चेतन पाटिल को 30 अगस्त को कोल्हापुर से गिरफ्तार किया गया था, जबकि आप्टे को 10 दिन बाद बुधवार रात ठाणे जिले के कल्याण से अरेस्ट किया गया था.
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले की एकस्थानीय अदालत में चेतन पाटिल और जयदीप आप्टे को पेश किया गया. कोर्ट ने उन्हें 10 सितंबर तक पुलिस रिमांड में भेजने का आदेश दिया. पुलिस ने कहा कि आरोपियों से पूछताछ करके यह पता लगाना होगा किमूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री कहां से खरीदी और क्या वे घटिया गुणवत्ता की थीं.
मूर्ति के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल
रिमांड नोट में पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया कि मूर्ति के निर्माण में इस्तेमाल की गई लोहे की छड़ें मूर्ति के नटबोल्ट, और अन्य सामग्री जंग लगी हुई थी. यह देखने की जरूरत है कि आरोपियों ने मूर्ति के लिए किस तरह की सामग्री का इस्तेमाल किया और क्या वे घटिया गुणवत्ता की थीं. पुलिस ने कहा कि उसे मूर्ति के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री के नमूने और सांचे भी इकट्ठा करने होंगे. पुलिस ने कहा कि यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या आरोपियों ने मूर्ति को डिजाइन और निर्माण करते समय व्यवहर्यता ऑडिट किया था. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरोपी ने मूर्ति की संरचना बनाने से पहले पानी, भूकंप, हवा और इलाके की स्थलाकृति के मापदंडों पर विचार किया था या नहीं, इसकी जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि क्या आरोपी मूर्ति की संरचना बनाते समय मूर्ति की लंबी उम्र के बारे में जानते थे.
साभार : टीवी9 भारतवर्ष
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