लखनऊ. समाजवादी पार्टी के विधायक से अपनी बेटे की शादी करना बसपा के एक नेता को भारी पड़ा। अब बहुजन समाज पार्टी ने उनको पार्टी से बाहर कर दिया है। दरअसल 27 नवंबर को अंबेडकरनगर की आलापुर सीट से विधायक और सपा के राष्ट्रीय सचिव त्रिभुवन दत्त की बेटी की शादी रामपुर जिले से 5 बार बसपा जिलाध्यक्ष रहे सुरेंद्र सागर के बेटे से हुई। इस शादी में सपा मुखिया अखिलेश यादव भी शामिल हुए थे। अब बसपा नेता को सपा के साथ इस नई व्यक्तिगत रिश्तेदारी का खामियाजा भुगतना पड़ा है। बसपा ने सुरेंद्र सागर को पार्टी से ही निष्कासित कर दिया है।
बता दें कि सुरेंद्र सागर 2007 से 2024 के बीच पांच बार बसपा के जिलाध्यक्ष रहे चुके हैं। साल 2022 में सपा से विधायकी का चुनाव भी लड़ चुके हैं। अब बसपा सुप्रीमो मायावती के इस फैसले में उनको खुद हैरानी हो रही है। दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि मायावती के इस तरह के फैसले से पार्टी का यह हाल हो रहा है। पढ़िए बसपा नेता सुरेंद्र सागर से पूरी बातचीत-
‘उम्र की वजह से गुस्सा जल्दी आता है’
सुरेंद्र सागर ने बताया कि मायावती को गुस्सा जल्दी आता है। इसकी एक बड़ी वजह एज फैक्टर भी है। उन्होंने कहा कि उनके फैसले अब लोगों के गले से नहीं उतर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सपा विधायक राष्ट्रीय सचिव त्रिभुवन दत्त से मायावती ज्यादा नाराज थीं। अब उनको जब यह पता चला कि हमने उनसे रिश्तेदारी जोड़ ली तो उसका खामियाजा हमें भी भुगतना पड़ा। इस बात को लेकर वह गुस्सा हो गई। उन्होंने बताया कि इस बारे में उनकी बसपा सुप्रिमों से कोई बात नहीं हुई है। बस पार्टी की तरफ से सीधे उनके पास निष्कासन पत्र आया है। उन्होंने कहा कि मायावती के फैसले गले से नहीं उतर रहे हैं। बड़े-बड़े लोगों को पार्टी से निकाल दिया है। इससे पार्टी में कमजोरी आना तय है। बताया कि पिछले 29 साल से वह बसपा में है। साल 1995 से वह पार्टी में आए थें। साल 2007 में पहली बार जिलाध्यक्ष बने थें।
‘बसपा सुप्रीमो खुद पार्टी को कमजोर कर रही हैं’
पूर्व बसपा नेता ने सपा में जाने के सवाल पर कहा कि राजनीति करने वाले को तो राजनीति करनी है। ऐसे में कुछ भी संभव है। मायावती खुद गलत फैसले लेकर पार्टी को कमजोर कर रही हैं। ऐसे में अपने समाज के लिए कहीं न कहीं काम कर मजबूती को दिलानी पड़ेगी।
‘हर फैसले से पार्टी कमजोर हो रही है’
उनका कहना है कि मायावती पता नहीं क्या कर रही हैं। उनका हर निर्णय ऐसा है कि जिससे पार्टी कमजोर हो। वह चाहेंगी तो 3 महीने में पार्टी को मजबूत कर सकती है।वह अपने फैसले सही लें तो चीजें ठीक हो जाएंगी। आज भी सभी वर्ग के लोग बसपा को पसंद करते हैं। टिकट को लेकर जो निर्णय होता है वह गलत रहता है।
‘चंद्रशेखर रावण को जीतने का मौका बसपा ने दिया’
पूर्व बसपा जिलाध्यक्ष का कहना है कि आज चंद्रशेखर रावण भी गलत टिकट वितरण की वजह से पार्टी सांसद बने हैं। वहां से पहले बसपा के गिरीश चंद्र चाटव सांसद थे। पार्टी ने 2024 में उनका टिकट काट दिया। उनको बुलंदशहर से लड़ाया गया। इसका नुकसान हुआ। अगर वह नगीना से लड़ते तो चंद्रशेखर रावण कभी सांसद नहीं बन पाते। ऐसे में रावण को जीतने का मौका बीएसपी ने दिया है। अब उनके जीतने से समाज में बिखराव हुआ है।
साभार : दैनिक भास्कर
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