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कोर्ट के सामने पेश होने के लिए अरविंद केजरीवाल को जारी हुआ समन

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नई दिल्ली. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने CM अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गुरुवार (7 मार्च) को समन भेजा है। ED ने बुधवार (6 मार्च) को कई समन नजरअंदाज करने के आरोप में केजरीवाल के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाने की मांग की थी। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या मल्होत्रा ​​ने केजरीवाल को 16 मार्च को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।

ED केजरीवाल को अब तक 8 बार समन भेज चुकी है। केजरीवाल को 27 फरवरी, 26 फरवरी, 22 फरवरी, 2 फरवरी, 17 जनवरी, 3 जनवरी, 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समन भेज गया था। हालांकि, वे एक बार भी पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए हैं। दिल्ली CM जब 2 फरवरी को 5वें समन के बाद पूछताछ के लिए नहीं आए थे, तब ED ने राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका लगाई थी। केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और बजट सेशन के कारण 14 फरवरी को कोर्ट में वर्चुअली पेश हुए थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय की है।

कोर्ट में 16 मार्च को समन पर सुनवाई

ED ने लगातार समन के बावजूद केजरीवाल के पेश नहीं होने पर राउज एवेन्यू कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 14 फरवरी को केजरीवाल से कहा था कि आप 17 फरवरी को अदालत में हाजिर होकर पेशी में न जाने की वजह बताएं। तब केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और बजट सेशन के कारण वर्चुअली कोर्ट में पेश हुए थे। इसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम अगली सुनवाई 16 मार्च को करेंगे। केजरीवाल उस दिन कोर्ट में पेश होंगे।

ED को गिरफ्तारी का अधिकार

CM केजरीवाल के बार-बार पेश नहीं होने पर ED उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर सकती है। उसके बाद भी पेश नहीं हुए तो धारा 45 के तहत गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के जानकार बताते हैं कि पेश नहीं हो पाने की ठोस वजह बताई जाती है तो ED समय दे सकती है। फिर दोबारा नोटिस जारी करती है। PMLA में नोटिस की बार-बार अवहेलना पर गिरफ्तारी हो सकती है।

अगर CM केजरीवाल आगे भी पेश नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी आवास पर जाकर पूछताछ कर सकते हैं। ठोस सबूत होने पर या सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं। वहीं, केजरीवाल वारंट जारी होने के बाद कोर्ट जा सकते हैं और अपने एडवोकेट की मौजूदगी में जांच में सहयोग करने का वादा कर सकते हैं। इस पर कोर्ट ED को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दे सकता है।

साभार : दैनिक भास्कर

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