नई दिल्ली. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने आज अंतरिम जमानत दे दी। इसके साथ ही कोर्ट ने जमानत देते समय कुछ शर्तें भी लगाई हैं। केजरीवाल को 50 हजार के निजी मुचलके पर जमानत लेने होगा। वह मुख्यमंत्री दफ्तर नहीं जाएंगे और न ही वो दिल्ली सचिवालय जा सकेंगे। कोर्ट के आदेश के अनुसार, सीएम केजरीवाल उपराज्यपाल वीके सक्सेना की अनुमति के बगैर किसी फाइल पर साइन नहीं करेंगे। वह कथित शराब नीति घोटाले में अपनी भूमिका को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। साथ ही वह किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे।
केजरीवाल को चुनाव रिजल्ट से पहले करना होगा सरेंडर
बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक जून तक अंतरिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और जेल वापस जाना होगा। पीठ ने केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी के इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया कि उन्हें पांच जून तक अंतरिम जमानत दी जाए। एक जून को लोकसभा चुनाव के लिए सातवें और अंतिम चरण के तहत मतदान होगा। मतगणना चार जून को होगी।
कोर्ट ने की ये टिप्पणी
पीठ ने कहा कि ईडी की ‘प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट’ (ईसीआईआर) अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी जबकि मुख्यमंत्री को इस साल 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया। पीठ ने ईडी से कहा, ‘‘वह डेढ़ साल तक बाहर रहे। उन्हें पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मेहता और राजू ने न्यायालय से जमानत शर्तें लागू करने का अनुरोध किया जिनमें यह भी शामिल हो कि केजरीवाल आबकारी नीति मामले के संबंध में कुछ नहीं कहेंगे। पीठ ने कहा कि जमानत की शर्तें वैसी ही होंगी जैसी ‘आप’ नेता संजय सिंह के मामले में लागू की गई थीं। संजय सिंह को इसी मामले के सिलसिले में पिछले महीने जमानत दी गई थी।
साभार : दैनिक जागरण
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