रविवार, सितंबर 08 2024 | 04:59:05 AM
Breaking News
Home / राज्य / महाराष्ट्र / शिवाजी से जुड़े किले से अतिक्रमण हटाने की मांग, हुआ बवाल

शिवाजी से जुड़े किले से अतिक्रमण हटाने की मांग, हुआ बवाल

Follow us on:

मुंबई. महाराष्ट्र के कोल्हापुर स्थित विशालगढ़ में रविवार को जमकर बवाल हुआ. विशालगढ़ में स्थित एक दरगाह पर अतिक्रमण हटाने को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले कई दिनों से अपील की जा रही थी और 14 जुलाई का दिन निर्धारित किया गया था. इसके अलावा छत्रपति संभाजी राजे भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ विशालगढ़ दरगाह पर गए थे. उसी दरम्यान अन्य हिंदूवादी संगठन के लोग भी बड़ी संख्या में पहुंचे थे. देखते ही देखते हालात इतने बिगड़ गए कि पथराव होने लगा. दूसरे पक्ष की तरफ से भी पथराव हुआ, दुकानों में तोड़फोड़ हुई और आगजनी की कोशिश की गई. फिलहाल मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात की गई है. हालात को काबू में करने की कोशिश की जा रही है.

विशालगढ़ किले में ही हजरत सैयद मलिक रेहान मीर साहब की दरगाह है. विशालगढ़ किले पर बसी आबादी में ज्यादातर मुस्लिम आबादी है. आरोप है कि दरगाह के पास कथित तौर पर अतिक्रमण कर लिया गया है. यहां अवैध निर्माण कराए जा रहे हैं. इन्हीं अवैध निर्माणों में मीट का कारोबार अड़ल्ले से चलता है.

विवाद क्या है और किले का इतिहास क्या है?

विशालगढ़ वह किला है, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज बीजापुर की आदिलशाही सेना के जाल से बचकर पहुंचे थे. सेनापति सिद्धि मसूद उन्हें मारना चाहता था. मराठा योद्धा बाजी प्रभु और फुलजी प्रभु ने 13 जुलाई 1660 को राजा को सुरक्षित रूप से विशालगढ़ तक पहुंचाने में मदद करने के लिए पवनखिंड में लड़ाई लड़ी थी. लड़ाई के 364वें वर्ष को चिह्नित करते हुए सकल हिंदू समाज और छत्रपति शिवाजी महाराज के वफादारों और उपासकों ने किले पर किए गए ‘अवैध अतिक्रमण’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने का फैसला किया है, क्योंकि उनका आरोप है की ये इतिहास के साथ छेड़छाड़ है.

हिंदू समुदाय के लोग किले से अवैध अतिक्रमण हटाने और किले की मूल विरासत को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. वर्तमान छत्रपति संभाजी महाराज और महान महाराष्ट्रीयन संत तुकाराम महाराज के 11वें पूर्वज कार्यकर्ता शिरीष मोरे द्वारा लगातार इसके खिलाफ बयान बाजी की जाती रही है, क्योंकि उनका कहना था कि किले पर वर्षों से बड़े पैमाने पर कथित अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो रहा था, लेकिन हाल के वर्षों मे इसमें और बढ़ोतरी हुई है., जिससे 17वीं शताब्दी से किले पर स्थित लगभग 24 हिंदू मंदिरों और संरचनाओं का अपमान हो रहा है.

किले पर ज्यादातर मुस्लिम आबादी

ऐसा माना जाता है कि विशालगढ़ किले पर बसी आबादी, जिसमें से ज्यादातर मुस्लिम हैं, मस्जिद पर कथित अवैध अतिक्रमण, निर्माण या अवैध विस्तार में शामिल रहे हैं. वहां की आबादी ने सालों से अवैध शेड भी बनाए हैं, जिससे चिकन और मवेशी वध का कारोबार और बढ़ गया है. दरगाह पहले जिस जगह पर थी, वह काफी छोटी जगह थी, जिसे अब एक हजार वर्ग फीट से भी ज्यादा तक बढ़ा दिया गया है.

हिंदू समुदाय के प्रदर्शनकारियों का कहना है कि दरगाह के पीछे मस्जिद का विस्तार राज्य की अनुमति के बिना किया गया है, इसलिए यह अवैध है. उल्लेखनीय है कि किले पर आबादी के बीच अतिक्रमण करने वाले सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, कुल 58,000 वर्ग फीट क्षेत्र है. कथित तौर पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मलिक रेहान बाबा दरगाह और मस्जिद के आसपास हुआ है.

पुरातत्व विभाग ने दिए थे ये निर्देश

दिसंबर 2022 में राज्य पुरातत्व विभाग ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अपने अवैध ढांचों को गिराने के आदेश जारी किए थे. विभाग ने लोगों को आदेश मिलने के 30 दिनों के भीतर अपने ढांचों को गिराने का निर्देश दिया था. इसके बाद पीड़ित व्यक्तियों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और ध्वस्तीकरण आदेश को चुनौती देते हुए दावा किया कि उनकी संरचनाएं 1999 में किले को संरक्षित स्मारक घोषित किए जाने से पहले बनाई गई थीं. नतीजतन, महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल अवशेष अधिनियम, 1960 के प्रासंगिक हिस्से उन पर लागू नहीं हो सकते.

2023 में विध्वंस आदेश पर लगी रोक

बॉम्बे हाई कोर्ट ने फरवरी 2023 में विध्वंस आदेश पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने अयूब कागदी और छह अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोल्हापुर जिले के विशालगढ़ किले के भीतर छोटे भूखंडों पर जिन लोगों का कब्जा होने का दावा किया गया है, वे 30 से 60 साल से अधिक समय से हैं, जबकि उनमें से एक के कब्जे वाली भूमि को 1983 में नियमित कर दिया गया था. संरचनाओं के नियमितीकरण के प्रस्ताव सरकार के समक्ष लंबित थे.

दरगाह के उलट मंदिरों की हालत खस्ता

विशालगढ़ के किले पर कुल 55 प्राचीन मंदिर थे, लेकिन आज केवल 20 से 24 हिंदू संरचनाएं और मंदिर ही बचे हैं. हालांकि वे बहुत ही खराब स्थिति में हैं. बाकी सभी विलुप्त हो चुके हैं.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

शरद पवार ने जेड प्लस सुरक्षा लेने से किया इनकार

मुंबई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार की जेड प्‍लस सिक्‍योरिटी को लेकर …