रविवार, सितंबर 08 2024 | 04:58:06 AM
Breaking News
Home / राज्य / उत्तराखंड / उत्तराखंड सरकार का निर्णय, चारधाम के नाम पर नहीं बनेगा कोई ट्रस्ट या मंदिर

उत्तराखंड सरकार का निर्णय, चारधाम के नाम पर नहीं बनेगा कोई ट्रस्ट या मंदिर

Follow us on:

देहरादून. देश में चार धाम- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के नाम से दूसरा मंदिर या ट्रस्ट नहीं बनेगा। मंदिरों से मिलता-जुलता नाम रखने पर भी सख्त एक्शन लिया जाएगा। उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 18 जुलाई को हुई कैबिनेट मीटिंग में इस पर कानून बनाने का फैसला किया गया है। दरअसल, 10 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी में ‘श्री केदारनाथ धाम’ नाम से मंदिर का शिलान्यास हुआ था। इसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुए थे। 15 जुलाई को मुंबई में गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और प्रमुख संतों ने इसका विरोध किया था।

लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बन रही है

कैबिनेट मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री के सचिव शैलेश बगौली ने कहा- हमारी जानकारी में आया है कि उत्तराखंड के चार धाम (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के साथ कई अन्य प्रमुख मंदिरों के नाम का इस्तेमाल करके दूसरे मंदिर और ट्रस्ट बनाए जा रहे हैं। इससे लोगों के बीच असमंजस की स्थिति बन रही है। साथ ही स्थानीय परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंच रही है। स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश का माहौल बन रहा है। ऐसे में सरकार ने इसको लेकर कड़े प्रावधान लाने का प्रस्ताव पास किया है। जल्द ही इसको लेकर कानून लागू किया जाएगा।

दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम नाम से मंदिर बनाने का विवाद हुआ था

दिल्ली के बुराड़ी स्थित हिरनकी में 10 जुलाई को ‘श्री केदारनाथ धाम’ नाम से मंदिर का शिलान्यास हुआ। कार्यक्रम में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी भी थे। हालांकि मंदिर के शिलान्यास के बाद केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित, संतो और स्थानीय लोग ने विरोध किया।

सीएम बोले- बाबा केदारनाथ का एक ही स्थान उत्तराखंड

विवाद बढ़ता देख उत्तराखंड के CM धामी ने कहा- कुछ लोग कभी धार्मिक, कभी क्षेत्रीय और जातीय भावनाएं भड़काने का प्रयास कर रह रहे हैं। उनके इरादे सफल नहीं होने देंगे। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का स्थान एक ही है। दूसरे स्थान पर कोई धाम नहीं हो सकता। प्रतीकात्मक रूप से मंदिर अनेक स्थानों पर बने हैं। लेकिन ज्योतिर्लिंग का मूल स्थान उत्तराखंड में ही है।

साभार : दैनिक भास्कर

भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

https://www.amazon.in/dp/9392581181/

https://www.flipkart.com/bharat-1857-se-1957-itihas-par-ek-drishti/p/itmcae8defbfefaf?pid=9789392581182

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

नैनीताल के कालाढूंगी के तहत पनचक्की चौराहे से कमलुवागांजा तक 8.2 कि0मी0 लम्बी नहर कवरिंग का निर्माण कार्य हुआ स्वीकृति

हल्द्वानी. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने योजना पूरी करने हेतु एक वर्ष की समयसीमा दी। …