मंगलवार, अक्तूबर 08 2024 | 06:15:15 PM
Breaking News
Home / राष्ट्रीय / क्वालिटी टेस्ट में 50 से अधिक दवाओं के सैंपल हुए फेल

क्वालिटी टेस्ट में 50 से अधिक दवाओं के सैंपल हुए फेल

Follow us on:

नई दिल्ली. भारत दवाओं का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन करने वाला देश है, लेकिन भारतीयों को अच्छी क्वालिटी की दवाएं नहीं मिल पा रही हैं. इस बात का खुलासा सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की एक रिपोर्ट में हुआ है. ड्रग रेगुलेटर ने कई दवाओं का क्वालिटी टेस्ट किया था, जिसमें 50 से ज्यादा दवाएं फेल हो गई हैं. आसान भाषा में कहें, तो ये दवाएं तय मानकों के अनुरूप नहीं बनाई गई थीं. चिंता वाली बात यह है कि क्वालिटी टेस्ट में जिन दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और वायरल इंफेक्शन की दवाएं शामिल हैं.

सीडीएससीओ ने इन दवाओं को लेकर नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी (NSQ) अलर्ट जारी किया, जिसमें बताया गया कि कुछ सबसे अधिक बिकने वाली दवाएं एल्केम लैबोरेटरीज, हेटेरो ड्रग्स, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड और कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड समेत कई नामी दवा कंपनियों ने बनाई थीं. NSQ के रूप में चिह्नित की गई दवाओं में पैरासिटामोल टैबलेट (500 mg), एंटी डायबिटिक दवा ग्लिमेपिराइड, हाई ब्लड प्रेशर की दवा टेल्मा एच (टेल्मिसर्टन 40 mg), एसिड रिफ्लक्स की दवा पैन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट शेल्कल सी और डी3 शामिल हैं. इस लिस्ट में एंटीबायोटिक मेट्रोनिडाजोल भी शामिल है. इसके अलावा भी कई कंपनियों की दवाएं इस लिस्ट में शामिल हैं.

नकली-असली दवाओं की पहचान कैसे करें?

ऑल इंडिया केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी प्रियांश गुप्ता ने बताया कि दवा पर बार कोड हो, तो बारकोड स्कैन करके नकली असली की पहचान कर सकते हैं. हालांकि अभी 20 से 25 प्रतिशत दवाओं पर ही बार कोड आ रहा है, जिसकी वजह से दवाओं के नकली-असली की पहचान करने के लिए कई अन्य तरीके भी अपनाने पड़ते हैं. दवा खरीदते वक्त लोगों को मेडिकल स्टोर से बिल जरूर लेना चाहिए. बिल वाली दवाएं ज्यादा ऑथेंटिक होती हैं. अगर सभी दवाओं पर बारकोड हो जाए तो फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं बचेगी.

दवा खरीदते वक्त इन 5 बातों का रखें ध्यान

दवा खरीदते वक्त हमेशा ब्रांड नेम और उसकी पैकेजिंग की जांच करें. असली दवाओं पर ब्रांड का नाम स्पष्ट और सही लिखा होता है. इसके अलावा दवा के निर्माता का नाम और उसका पते की जानकारी सही होनी चाहिए. असली दवाओं की पैकेजिंग की क्वालिटी अच्छी होती है. अगर पैकेजिंग में धुंधले प्रिंट या खराब सिलाई है, तो यह नकली हो सकती हैं. कई कंपनियां अपनी दवाओं पर सुरक्षा होलोग्राम लगाती हैं, जिसे जांचकर असली-नकली का पता लगा सकते हैं. दवा खरीदते वक्त इसकी एक्सपायरी डेट हमेशा चेक करें. दवा हमेशा रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से ही खरीदें. अगर आपको किसी दवा की पहचान में संदेह है, तो डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें. वे आपकी मदद कर सकते हैं.

साभार : न्यूज़18

भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

सारांश कनौजिया की पुस्तकें

मित्रों,
मातृभूमि समाचार का उद्देश्य मीडिया जगत का ऐसा उपकरण बनाना है, जिसके माध्यम से हम व्यवसायिक मीडिया जगत और पत्रकारिता के सिद्धांतों में समन्वय स्थापित कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमें आपका सहयोग चाहिए है। कृपया इस हेतु हमें दान देकर सहयोग प्रदान करने की कृपा करें। हमें दान करने के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें -- Click Here


* 1 माह के लिए Rs 1000.00 / 1 वर्ष के लिए Rs 10,000.00

Contact us

Check Also

अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

– प्रहलाद सबनानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों एवं भारतीय समाज के लिए संघ के …