नई दिल्ली. भारत में सोना सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं बल्कि मुश्किल में काम आने वाला साथी होता है. किसी देश की ताकत उसके गोल्ड रिजर्व से आंकी जाती है. जिसके पास जितना सोना, वो उतना शक्तिशाली. भारत भी इस रेस में तेजी से बढ़ रहा है. बीते कुछ महीनों में केंद्रीय बैंक RBI ने जमकर सोने की खरीदारी की है. भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते चार महीनों में रिकॉर्ड स्तर पर सोना खरीदा है. आंकड़ों में देखें तो चार महीने में आरबीआई ने 24 टन सोना खरीद लिया. अब आरबीआई ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है.
विदेश में जमा भारतीय सोने की घर वापसी करवा ली है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ब्रिटेन में जमा 100 टन से अधिक सोना भारत वापस लाकर बड़ी सफलता हासिल की है. लेकिन लोगों के मन में सवाल है कि आखिर भारत का सोना विदेशों में जमा ही क्यों था ? ऐसी क्या आफत आई थी कि भारत को अपना गोल्ड ब्रिटेन में जमा करना पड़ा था ? आरबीआई के इस कदम से भारत को कितनी ताकत मिलेगी ? सोने की वापसी से क्या असर होगा ? इन तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
भारत आया 100 टन सोना, और आना है बाकी
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जहां एक ओर जमकर सोने की खरीदारी कर रहा है तो वहीं विदेशों में जमा अपना सोना भी वापस ला रहा है. इसी कड़ी में आरबीआई ने ब्रिटेन में जमा अपना 100 टन सोना भारत ले आया है. आरबीआई ने ब्रिटेन से 100 टन से अधिक सोना देश में अपने भंडार में ट्रांसफर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले महीनों में 100 टन सोना देश में आ सकता है. देश के भीतर सोना जमा करने के लॉजिस्टिक कारण हैं. आरबीआई अपने स्टोरेज को डाइवर्सिफाई कर रहा है, जिसकी वजह से विदेशों में जमा भारतीय सोने की घर वापसी हो रही है. अगर आंकड़ों की बात करें तो मार्च 2024 के अंत तक RBI के पास 822.1 टन सोना था, जिसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में रखा है. इसमें से 100.3 टन सोना भारत में रखा है, जबकि 413.8 टन अभी विदेशों में है. इसके अलावा 308 टन सोना भारत में नोट जारी करने के लिए रखा गया है. बीते वित्तवर्ष के मुकाबले आरबीआई ने अपने गोल्ड स्टोरेज में 27.5 टन सोना जोड़ा है.
जब भारत को गिरवी रखना पड़ा था अपना सोना…
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्रिटेन से 100 टन से अधिक सोना भारत लौट आया है. आरबीआई ने ब्रिटेन में जमा सोना भारत लाकर बड़ी सफलता हासिल कर ली है. 1991 के बाद ये पहला मौका है जब इतने बड़े पैमाने पर सोने को वापस भारत लाया गया है. ये भारतीयों के लिए गर्व का पल है. एक दौर वो भी था, जब भारत को अपना सोना गिरवी रखना पड़ा था. 1991 के दौर में देश में चन्द्रशेखर की सरकार थी. देश का खजाना खाली है, आर्थिक स्थिति हिली हुई थी. भुगतान संतुलन लुढ़क चुका था. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2500 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका था. ये रकम बस इतनी थी, जिससे सिर्फ 15 दिन का आयात हो सके. भारत जैसे विशाल देश की इस जर्जर हो चुकी अर्थव्यवस्था को संकट से लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. अर्थव्यवस्था की हालात ऐसी हो चुकी थी कि वो कभी भी दिवालिया हो सकता था. तेल के दाम आसमान छू रहे थे.ऐसे में भारत के सामने सोना संकटमोचक बनकर आया. 1991 में भारत को भुगतान के लिए दो बार अपना सोना गिरवी रखना पड़ा.
कैसे ब्रिटेन पहुंच गया भारत का सोना ?
दुनियाभर के बैंकों के लिए ब्रिटेन का बैंक ऑफ इंग्लैंड में पारंपरिक रूप से भंडारगृह का काम करता है. दुनियाभर के बैंक लंदन में अपना सोना रखते हैं. भारत भी अपना सोना अब तक लंदन में रखता था. भारत की आजादी से पहले से भी लंदन में भारत के गोल्ड स्टॉक पड़े हैं. लेकिन अब फैसला लिया गया है कि वो अपने सोने की बड़ी मात्रा देश के अंदर ही रखेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई ने कुछ साल पहले सोना खरीदना शुरू किया और इसे तय किया कि इसे कहां स्टोर करना चाहता है. अब विदेशों में भारत का स्टॉक बढ़ रहा है, इसलिए अब धीरे-धीरे इन गोल्ड स्टॉक की घर वापसी की जा रही है.
विदेशों में क्यों रखा जाता है सोना ?
सोने के भंडारन के लिए केंद्रीय बैंकों को कई जगहों की तलाश होती है, चूंकि आजादी से पहले भारत अपना सोना ब्रिटेन में रखता था, इसलिए आरबीआई ने भी वहां सोना सुरक्षित रखना जारी रखा. उसके अलावा सुरक्षा, आपदा की स्थिति, राजनीतिक और आर्थिक आपदा का स्थिति में विदेशों में रखा सोना सुरक्षित रहता है, इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं से भी सोने के भंडार को सुरक्षित रखा जा सकता है. विदेशों में सोना रखने से दूसरे देशों के साथ व्यापार आसान हो जाता है. वहीं विदेशों में सोने पर ज़्यादा ब्याज मिल सकता है, जिससे भारत को फायदा होता है.
आरबीआई क्यों विदेशों से वापस ला रहा है अपना सोना ?
भारत की स्थिति अब 1991 से बिल्कुल विपरीत है. देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हो चुकी है, भारत का आत्मविश्वास बढ़ रहा है. ऐसे में आरबीआई धीरे-धीरे कर विदेशों में रखा अपना सोना वापस ला रहा है. सोने की घर वापसी देश की मजबूत अर्थव्यवस्था को दिखाता है, देश में सोने का भंडार बढ़ रहा है और इसका इस्तेमाल देश की आर्थिक तरक्की में हो रहा है. अगर आंकड़ों को देखें तो
- 2019 में आरबीआई के पास 618.2 टन सोना था.
- 2020 में सोने का भंडार बढ़कर 661.4 टन हो गया.
- 2021 में भारत का सोने का भंडार 695.3 टन पर पहुंच गया.
- 2022 में गोल्ड रिजर्व बढ़कर 760.4 टन पर पहुंच गया.
- साल 2023 में यह 794.6 टन पर पहुंच गया
- साल 2024 में यह 822.1 टन पर पहुंच गया.
कैसे भारत वापस आया अपना गोल्ड ?
दुनियाभर के सेंट्रल बैंक पारंपरिक रूप से बैंक ऑफ इंग्लैंड के पास सोना रखते हैं. अब भारत सरकार, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के साथ कई संस्थाओं और स्थानीय अधिकारियों मिलकर अपना सोना वापस भारत ला रहे हैं. इसके लिए चरणबंद्ध तरीके से काम हो रहा है. सबसे पहले आरबीआई को देश में सोना लाने के लिए सीमा शुल्क में छूट मिली. इतनी बड़ी मात्रा में सोना लाने के लिए एक विशेष विमान की व्यवस्था की गई. व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई. आरबीआई को स्टोरेज कॉस्ट में कुछ बचत करने में भी मदद मिलेगी. इसका भुगतान बैंक ऑफ इंग्लैंड को किया जाता है. इस तरह से भारत सोना पहुंचा है.
साभार : जी न्यूज
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