नई दिल्ली. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने अभी तक पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई भले ही न की हो, लेकिन आर्थिक हथियारों से पड़ोसी को लगातार लहूलुहान कर रहा है. पहले सिंधु जल समझौता और द्विपक्षीय व्यापार रोककर आर्थिक रूप से तगड़ी चोट दी और अब भारत पाकिस्तान पर आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी कर रहा है. मोदी सरकार का यह दांव सही पड़ा तो पाकिस्तान के लिए अब तक की सबसे बड़ी चोट साबित होगी और वह घुटनों के बल आ गिरेगा.
भारत ने इस बार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को अप्रोच किया है. भारत की मंशा आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगाना और पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डालने की है. FATF एक वैश्विक संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण पर नजर रखती है. पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला गया था और अक्टूबर 2022 तक उसे निगरानी का सामना करना पड़ा. अगर कोई देश ‘ग्रे लिस्ट’ में होता है, तो उसका प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रभावित होता है. इसी तरह भारत यह भी प्रयास कर रहा है कि पाकिस्तान को विश्व बैंक और एशिया डेवलपमेंट बैंक से भी किसी तरह की आर्थिक सहायता न मिले. इससे पाकिस्तान एक-एक पैसे के लिए मजबूर हो जाएगा.
भारत ने क्या तर्क दिया
भारत ने पहले ही तर्क दिया है कि पाकिस्तान को इस सूची में डालने से भारत में खासतौर से जम्मू और कश्मीर में अवैध धन के प्रवाह को रोकने में मदद मिली है. सूत्रों का कहना है कि नई दिल्ली दूसरा प्लान सोच रही है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जुलाई 2024 में शुरू हुए 8 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपये) के सहायता पैकेज पर आपत्ति जताई जाए और इस पर रोक लगाने की कोशिश करे. भारतीय अधिकारियों का तर्क है कि पाकिस्तान की ओर से इन फंडों का उपयोग नापाक गतिविधियों और आतंकवादी हमलों के लिए किया जा रहा है.
कैसे ग्रे लिस्ट में जाएगा पाकिस्तान
भारत अगर पाकिस्तान को FATF की ग्रे सूची में शामिल कराना चाहता है तो उसे अन्य देशों का समर्थन भी जुटाना होगा. सूत्रों का कहना है कि वित्तीय मोर्चे पर उठाए जा सकने वाले कदमों पर चर्चा हुई है. FATF में पाकिस्तान के लिए ‘ग्रे सूची’ की मांग करना विचाराधीन है. FATF में किसी देश के खिलाफ नामांकन प्रक्रिया शुरू करने के लिए प्लेनरी द्वारा मंजूरी लेनी होती है और भारत इसकी भरसक कोशिश में लगा है.
कब तक हो सकता है ये काम
FATF पर निर्णय लेने वाली संस्था साल में तीन बार मिलती है. आमतौर पर फरवरी, जून और अक्टूबर में यह बैठक होती है. अगर भारत पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने के लिए नामांकित करना चाहता है, तो तर्क विशेष रूप से मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण (TF) या प्रसार वित्तपोषण के जोखिमों या खतरों पर आधारित होना चाहिए.
कितने देशों का चाहिए समर्थन
FATF के 40 सदस्य देश हैं और 200 से अधिक क्षेत्राधिकार. अब तक नई दिल्ली को लगभग 23 FATF सदस्य देशों से संवेदना संदेश प्राप्त हुए हैं, जिनमें यूके, यूएस, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय आयोग, सऊदी अरब और यूएई जैसे गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के प्रमुख शामिल हैं. दूसरी ओर, पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है. हालांकि, यह एशिया पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग (APG) का हिस्सा है, जो FATF का सबसे बड़ा क्षेत्रीय निकाय है. भारत APG और FATF दोनों का सदस्य है. भारत मई में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बोर्ड की आगामी बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ आपत्तियां उठाने पर भी विचार कर रहा है.
साभार : न्यूज18
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