वाशिंगटन. अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के ठीक बाद दुनिया ने डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क की दोस्ती को देखा. अब पिछले एक महीने से ट्रंप और मस्क की दुश्मनी भी चर्चा का विषय बनी हुई है. मंगलवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया कि क्या वो टेस्ला और स्पेस एक्स जैसी कंपनियों के मालिक मस्क को अमेरिका से डिपोर्ट करने जा रहे हैं. तो उन्होंने इसपर कहा कि हमें इस पर विचार करना होगा. ट्रंप के ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ को लेकर मस्क काफी हमलावर हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या सच में डोनाल्ड ट्रंप के पास इतनी पावर है कि वो साउथ अफ्रीका मूल के मस्क को अमेरिका से बाहर निकाल सकते हैं? चलिए इसे समझते हैं.
माना जाता है कि ट्रंप को फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति बनाने के लिए एलन मस्क ने करीब 250 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. पहले हमें यह समझना होगा कि मस्क को देश से निकालने का विचार कहां से शुरू हुआ. ट्रंप के सलाहकार स्टीव बैनन ने बिल का विरोध करने पर मस्क को अमेरिका से डिपोर्ट करने की बात सबसे पहले कही थी. बैनन वही व्यक्ति हैं जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव जिताने की रणनीति बनाने का सूत्रधार माना जाता है. उन्होंने दावा किया कि मस्क मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका से हैं. वो अवैध रूप से अमेरिका में आए थे. उन्होंने यह भी कह दिया कि उनके कथित नशीली दवाओं के उपयोग की खबरों की जांच की जानी चाहिए.
क्या मस्क को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा सकता है?
अगर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन सच में एलन मस्क को देश से बाहर करना चाहता है तो उन्हें पहले कानूनी रूप से अपनी नागरिकता से वंचित करना होगा. मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका के रहने वाले मस्क 2002 में अमेरिकी नागरिक बने थे. इससे पहले वे कनाडा के नागरिक थे. मस्क जे-1 वीजा पर पढ़ाई करने के लिए अमेरिका आए थे. दावा है कि मस्क ने अमेरिका में अपना करियर शुरू किया था, तब वे कथित तौर पर एक अवैध अप्रवासी थे. मस्क 1995 में छात्र वीजा पर अमेरिका आए थे. हालांकि उन्होंने कहा था कि वे स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया. इसके बजाय मस्क ने अपनी कंपनी जिप2 की स्थापना की. यह एक सॉफ्टवेयर फर्म है जिसे बाद में कॉम्पैक्ट ने 300 मिलियन डॉलर में खरीद लिया था.
मस्क ने अगर ये गलती की तो कोई नहीं बचा पाएगा
रिपोर्ट्स में दावा किया जाता है कि साल 2005 में मानहानि के एक मुकदमे में इस्तेमाल किए गए ईमेल में एलन मस्क ने कहा था कि उन्होंने स्टैनफोर्ड में आवेदन किया था. ऐसा इसलिए क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करते तो उनके पास अमेरिका में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था. हालांकि इस तरह के दावों को मस्क ने इनकार कर दिया था. यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या टेस्ला और स्पेस एक्स के मालिक ने नागरिक बनने की प्रक्रिया के दौरान अमेरिकी सरकार से झूठ बोला था? किसी व्यक्ति से नागरिकता छीनने के प्रोसेस को डीनैचुरलाइज़ेशन कहा जाता है. ऐसा तब होता है जब सरकार से झूठ बोलकर या सच छुपाकर नागरिकता ली गई हो. अगर जांच में पाया जाए कि एलन मस्क ने किसी महत्वपूर्ण सच को जानबूझकर छुपाकर नागरिकता ली है तो उन्हें डीनैचुरलाइज की प्रक्रिया से गुजरना होगा. अगर मस्क ने तब सच में झूठ बोला था तो उनकी नागरिकता जा सकती है और उन्हें अमेरिका से डिपोर्ट भी किया जा सकता है.
साभार : न्यूज18
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