लखनऊ. समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तर प्रदेश स्थित मुजफ्फरनगर में एक होटल में कर्मियों की पहचान को लेकर उनकी पैंट उतारे जाने के मामले में बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि ऐसा करने वाले और पहलगाम के आंतिकयों में अंतर नहीं है. अब हसन ने अपने बयान पर सफाई दी है. हसन ने कहा कि मुझे नेम प्लेट पर सरकार के आदेश पर एतराज नहीं है लेकिन मुजफ्फरनगर में जो हुआ, उसकी जांच हो और एक्शन लिया जाए. अपने पुराने बयान के संदर्भ में एसटी हसन ने कहा कि उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. हसन ने कहा कि मैंने तो खुलकर कहा कि एक आदमी चार लोगों को लेकर जाकर दुकानों में लोगों की चेकिंग कर रहा है. उनको ये अधिकार दिया किसने है.
‘सरकार ने नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया…’
पूर्व सांसद ने कहा कि सरकार ने नेम प्लेट लगाने का आदेश दिया. हमको इससे एतराज नहीं है. हमें पहचान छिपाकर काम नहीं करना चाहिए लेकिन अगर नियम को जनता लागू करने लगेगी, तो क्या देश में हिंदू मुस्लिम के बीच अंतर नहीं बढ़ेगा. इस तरह से जो चेकिंग जा रही है उससे दूरियां बढ़ेंगी. सपा नेता ने कहा कि नाम बदल कर कारोबार करना भी उचित नहीं है. किसी को धोखा देकर कारोबार न करें. इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता. हसन ने कहा कि थोड़े से वोट की खातिर, ऐसे हालत न पैदा किए जाएं कि देश में लोगों के बीच दूरियां बढ़ें.
उत्तराखंड और यूपी में क्या-क्या आदेश हुआ?
बता दें कांवड़ यात्रा पर धामी सरकार ने आदेश जारी किया है. इसमें कहा गया है कि खाने पीने की दुकानों पर मालिक का नाम अनिवार्य है. लाइसेंस और पहचान पत्र दिखाना जरूरी होगा. बिना नाम और लाइसेंस वाली दुकानें बंद रहेंगी. कांवड़ रूट पर निगरानी अभियान चलाया जाएगा. कानूनी कार्रवाई और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा. उधर, यूपी में योगी सरकार ने कहा है कि ढाबा और रेस्टोरेंट में मालिक और मैनेजर का नेमप्लेट जरूरी है. सीएम ने कहा था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले में मांस बिक्री नहीं, ओवररेटिंग पर सख्ती के निर्देश, संचालक को अपना नाम लिखना होगा.
साभार : एबीपी न्यूज
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