जयपुर. राजस्थान में पिछले पांच साल में टीचर भर्ती की जांच में बड़ा ख़ुलासा हुआ। शिक्षा विभाग की तरफ से एसओजी को 123 टीचरों की लिस्ट सौंपी गई है, जिनमें संदिग्ध तरीके से शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी रीट 2018 और 2019 में नौकरी पाना पाया गया है। उसके बाद SOG ने इन सभी 123 के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। राज्य पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने एक बड़े फर्जीवाड़े को लेकर रीट (REET) भर्ती परीक्षा 2018, 2021 और 2022 में चयनित 123 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इन सभी पर सरकारी सेवा में आने के लिए डमी कैंडिडेट बैठाने और जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने का आरोप है। यह मामला तब सामने आया जब राज्य सरकार के निर्देश पर पिछले पांच वर्षों की भर्तियों की आंतरिक जांच शुरू की गई। प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय, राजस्थान, बीकानेर द्वारा गठित एक विशेष समिति ने संभागवार रिपोर्ट तैयार की। इस रिपोर्ट में 123 ऐसे मामले चिन्हित किए गए, जिनमें भर्ती हुए शिक्षकों के परीक्षा के समय के फोटो, हस्ताक्षर और उनकी डिग्रियां संदिग्ध पाई गईं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन संदिग्धों में से 95 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षक जालौर जिले से संबंधित हैं, जिसे पहले भी पेपर लीक और नकल प्रकरण में भी चर्चाओं में रहा है।
जानकरी के मुताबिक भर्ती परीक्षाओ में डमी कैंडिडेट असली अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य व्यक्ति को परीक्षा में बैठाया गया। जांच के दौरान, आवेदन पत्र, प्रवेश पत्र और पहचान पत्रों पर लगी फोटो का मिलान वर्तमान में कार्यरत शिक्षक के चेहरे से नहीं हो रहा। कई मामलों में आवेदन पत्र और उपस्थिति पत्रक पर किए गए हस्ताक्षर भी भिन्न पाए गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि परीक्षा किसी और ने दी गई और बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया गया। जांच में सामने आया कि संदिग्ध दस्तावेज में कुछ अभ्यर्थियों की शैक्षणिक डिग्रियां और रीट पात्रता प्रमाण पत्र भी जांच के दायरे में आए, जो फर्जी पाए गए या उनकी वैधता संदिग्ध थी।
एफआईआर में 123 शिक्षकों को दो श्रेणियों में रखा गया है, जिसमें रीट 2022 राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा आयोजित इस परीक्षा में चयनित 49 शिक्षकों पर मामला दर्ज किया गया है। रीट 2018 और 2021 इन परीक्षाओं में चयनित 72 शिक्षकों पर भी धोखाधड़ी का आरोप है। जालौर जिले के शिक्षकों पर कार्रवाई जांच रिपोर्ट में जालौर के कई शिक्षकों के नाम सामने आए हैं, जो विभिन्न सरकारी विद्यालयों में कार्यरत हैं। इन शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें खासरवी (जालोर) मनोहरलाल, गुडा हेमा (जालोर) सुरेश विश्नोई, भीमगुडा (जालोर) मुकनाराम, लालपुरा (जालोर) दिनेश कुमार, रामपुरा (जालोर) जगदीश कुमार, खेजडिय़ाली (जालोर) टेकमाराम, सूंथड़ी (जालोर) हनुमान, जारु की ढाणी (जालोर) हनुमानाराम, झोटड़ा (जालोर) सुंदर, माधोपुरा (जालोर) प्रवीण कुमार, तावीदर (जालोर) कांतिलाल, लाखावास (जालोर) मनोहरलाल, दुदावत (जालोर) रमेश विश्नोई, हाड़ेतर (जालोर) तेजाराम, जालोर सुकाराम, बलाना (जालोर) दिनेश कुमार, लाछीवाड़ (जालोर) कमलेश कुमार, कोटड़ा (जालोर) जगदीश विश्नोई, कोटड़ा (जालोर) वगताराम, कोटड़ा (जालोर) राकेश विश्नोई और सांकड़ (जालोर) रामेश्वरी विश्नोई। इस तरह 7 अगस्त को दर्ज प्रकरण में 49 में से 41 आरोपी शिक्षक जालोर जिले के ही है।
8 अगस्त को 73 के खिलाफ मामला दर्ज
8 अगस्त को भी एक अन्य प्रकरण दर्ज करवाया गया है, जिसमें 73 जनों के खिलाफ मामले दर्ज हैं, जिसमें 70 से अधिक आरोपी शिक्षक जालोर जिले के विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं और आरोपी हैं। दर्ज प्रकरण के अनुसार पाली जिले के अंतर्गत राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढाल के शिक्षक देशराज एक मात्र अन्य जिले का आरोपी है। जबकि अन्य सभी आरोपी क्रमश: जालोर जिले के मूलेवा के हिमांशु मित्तल, मालपुरा में जितेंद्र सिंह, फागोतरा ईराम, रोपसी में लोकेश कुमार, जीतपुरा (जसवंतपुरा) रेखा मीणा, पावली रुचिका शर्मा, पावली शिवराज चौधरी, रेवतड़ा पवन कुमार, जालमपुरा में रचना मीणा, केरलीनाडी में जयलता, डाबली मेना कुमारी मीना, बावतरा में ममता मीणा, वाडा नया शैतान सिंह, जेतू दामोदरसिंह, डूंगरी प्रकाश भादू, खिरोड़ी दिनेश कुमार, खिरोड़ी किशनलाल, सेली से प्रकाश खिलेरी, वापा से गिरधारीराम, ईटादा से ओमप्रकाश, आकोडिया से महेंद्र कुमार सिंगल, हालीवाव से अशोक कुमार, सायर का कोसिटा से ओमप्रकाश, अगड़ावा से सुखराम चौधरी, जालोर दिनेश कुमार, हाडेचा मुकेश कुमार, डावल से मुकेश कुमार, जाणवी अशोक कुमार, गलीफा से प्रकाश कुमार, रतनपुरा से राजेश कुमार, रतनपुरा से गणपतलाल, रतौड़ा से जगदीश, रणौदर से कमलेश कुमार, खिरोडी से खेताराम, धनेरिया से ओमप्रकाश, सेवाड़ा से रमेश कुमार विश्नोई, धनेरिया से पूनमाराम, पादरडी से दिनेश कुमार, माधोपुरा से दिनेश कुमार, अरणाय से सुरेश विश्नोई, चाटवाड़ा से दिनेश कुमार, चाटवाड़ा सुरेश कुमार, चाटवाड़ा से सुरेश कुमार जांगू, तावीदर से प्रवीण राणा, मैत्रीवाड़ा से उमेश कुमार, जालोर से कमलेश कुमार, रामपुरा से अशोक विश्नोई, चारा से मीनाक्षी वर्मा, चितरौडी से प्रवीण कुमार, मंडारडी से प्रवीण कुमार, मांग से मुकेश, कोटड़ा से मनोहर, डाडोकी से संजय राणा, गोलासन से सुरेश कुमार, डडूसन बीरबल, वंडालो का गोलिया से अशोक कुमार, जैरोल से राजेंद्र कुमार, करावडी से पालू सारण, मौखातरा से सुरेश कुमार, मौखातरा से सुनील कुमार, राजीव नगर से सत्य कुमार जाणी, राजीव नगर से सोमी कुमारी, ढाको की ढाणी से गोपाल विश्नोई, नैनोल से योगेश कुमार, सेवडा से अशोक विश्नोई, सेडिय़ा से पूराराम, दीगांव से सुरेश कुमार, दीगांव से राजेश कुमार, भाटीप से प्रकाश कुमार और रायपुर से सुरेश कुमार के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं। इस तरह 8 तारीख को 72 में से 71 आरोपी जालोर के हैं।
कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच
एसओजी ने इन सभी शिक्षकों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 419 , 420, 467 468 , 471, और 120बी और इसके साथ ही, राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2022 की धारा 3, 7 और 10 भी धाराओ में मामले दर्ज किए गए हैं। एसओजी के उप अधीक्षक कमल नयन की रिपोर्ट के बाद, पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में हुई भर्ती
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2018-2022) में रीट परीक्षा आयोजित हुई थी। अध्यापक पात्रता परीक्षा 2018 लेवल 1 और 2 में पेपरलीक के आरोप लगे थे। जिसके बाद रीट परीक्षा 2021 लेवल 1 और 2 करवाई गई, जिसे पेपर लीक के बाद रद्द करना पड़ा था। जिसके एवज में तत्कालीन सरकार ने फिर से रीट परीक्षा 2022 लेवल 1 और 2 करवाई गई थी। रीट 2018 और 2022 में पेपर लीक और धांधली के आरोप पहले भी लगे थे, लेकिन अब ठोस सबूतों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है।
साभार : अमर उजाला
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