लखनऊ. प्रेरणा शोध संस्थान न्यास के तत्वाधान में नोएडा सेक्टर 62 स्थित राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान में आयोजित ‘प्रेरणा विमर्श 2025’ के अंतर्गत नवोत्थान के नए क्षितिज पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन मूर्धन्य लेखकों, विचारकों और विद्वान विशेषज्ञों ने चर्चा व चिंतन किया और समस्याओं पर मंथन कर उनके समाधान रखे।
प्रथम सत्र में मंत्र विप्लव (वैचारिक क्षेत्र में नवोत्थान) विषय पर सत्र की वक्ता राज्यसभा सांसद और विख्यात इतिहासकार मीनाक्षी जैन ने कहा कि मैंने महसूस किया कि पहले प्रकाशक काफी दबाव में रहते थे। जो पिछले 10 वर्षों में बदल गए हैं, उनकी मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है। पहले जब मैं अयोध्या पर पुस्तक प्रकाशित करवाने का प्रयास कर रही थी तो प्रकाशक इनकार कर रहे थे। अब वही प्रकाशक मुझे किताब लिखने को कहते हैं। मेरे ख्याल से पिछले 10 वर्षों में यह बड़ा बदलाव देखने को मिला है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख प्रदीप जोशी जी ने कहा कि सांस्कृतिक गुलामी से दशकों तक हमारी लड़ाई, हमारा संघर्ष जारी है और मुझे लगता है कि सांस्कृतिक गुलामी से बाहर निकलने में हम निश्चित तौर पर सफल हुए हैं। यह देश के नवोत्थान की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण बदलाव है। सत्र के मॉडरेटर के रूप में वरिष्ठ पत्रकार प्रतिबिंब शर्मा ने विचारों के क्षेत्र में तकनीक एक चुनौती है या अवसर विषय पर सत्र का संचालन किया और आमंत्रित सदस्यों से ज्ञानवर्धक चर्चा की।
दूसरे सत्र में वसुधैव कुटुंबकम (वैश्विक क्षेत्र में नवोत्थान) विषय पर पूर्व राजदूत सुशील कुमार सिंघल ने कहा कि जब तक अपनी सभ्यता के सिद्धांतों को आत्मसात नहीं करेंगे, उसके अनुसार विदेश नीति, अनुसंधान और आर्थिक नीतियां नहीं होंगी, तब तक हम औपनिवेशिकवाद का ही अनुसरण करते रहेंगे। हमें अपनी सार्वभौमिकता बढ़ाने के लिए, उसको मजबूती देने के लिए खुद के बने रास्तों पर ही चलने का संकल्प लेना होगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिल्पकार नरेश कुमार कुमावत ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में शिल्पकार के तौर पर मैंने जो अनुभव किया है, वह इतना ही है कि देश की सार्वभौमिकता और सनातनी परंपरा, मूर्तियों की स्थापना के रूप में जिस तरीके की मजबूती इस सरकार के दौरान मुझे देखने को मिली है, वैसा पिछली सरकारों में मुझे देखने का अनुभव नहीं मिला। दूसरी बात यह कि मैं जब भी किसी विदेशी मुल्क में गया तो वहां भी सनातन की जो अलख जगी है, वह पिछले 10 वर्षों की सरकार की बदौलत ही है, ऐसा मुझे प्रतीत होता दिखता है।
तीसरे सत्र में शस्त्रेण रक्षति: राष्ट्रे (रक्षा क्षेत्र में नवोत्थान) विषय पर वक्ता रिटायर्ड मेजर जनरल विजय शरद रानाडे ने कहा कि इस वक्त युद्ध के नियम बदल गए हैं, लिहाजा हमारी सेना की सोच भी बदली है। अभी हमारी रक्षात्मक नीति से आक्रमण नीति बदली है, दृष्टिकोण बदला है, लड़ाई की परिभाषा बदली है। भारत ने स्वतंत्रता के बाद चार लड़ाइयां लड़ीं। बालाकोट, उरी और ऑपरेशन सिंदूर में दृष्टिकोण बदला है। रक्षा क्षेत्र में अब नई तकनीक आ रही है। ड्रोन और मिसाइलों का युग है। सीमाओं पर युद्ध ही नहीं, अब दूर से छद्म युद्ध भी लड़ा जा रहा है।
रक्षा विशेषज्ञ राजीव नयन ने कहा कि हमें सामरिक रणनीति को बदलना होगा। चीन को केवल शस्त्र से ही नहीं शास्त्र (बुद्धिमता) से भी हराना होगा। हमें आगे सजगता के साथ स्वदेशी मानसिकता और स्वदेशी यंत्रों की आवश्यकता है। बुद्धिमता और शौर्य प्रदर्शन के साथ संयम भी बरतना होगा। बिना युद्ध करे दुश्मन को समाप्त करना है तो उसे अपनी ताकत का एहसास कराना होगा।
नेटवर्क-18 के प्रबंध संपादक आनंद नरसिम्हन ने कहा कि शत्रु बोध के साथ स्वयं बोध भी जरूरी है। इस दौरान प्रेरणा सम्मान-2025 टाइम्स नाउ की ग्रुप एडिटर इन चीफ सुश्री नविका कुमार को दिया गया।
हर सत्र के अंत में वक्ताओं ने श्रोताओं के मन में उपजे विषयपरक प्रश्नों के उत्तर दिए।
साभार : विश्व संवाद केंद्र
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