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पाकिस्‍तान और तालिबान के बीच आया चीन, क्या लड़ेगा अफगानिस्तान से लड़ाई

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काबुल. पाकिस्‍तान और अफगान तालिबान के बीच तनाव गंभीर होता जा रहा है। पाकिस्‍तानी सेना के हवाई हमले के बाद तालिबानी आतंकियों ने भी करारा जवाब देकर कई पाकिस्‍तानी सैनिकों को मार दिया है। यही नहीं तालिबान ने यह भी कह दिया है कि वह पाकिस्‍तान से लगती सीमा रेखा डूरंड लाइन को नहीं मानता है। तालिबानी पाकिस्‍तान के पेशावर शहर तक पर अपना दावा कर रहे हैं। इसके जवाब में पाकिस्‍तान ने अफगानिस्‍तान के ‘च‍िकेन नेक’ वखान कॉरिडोर पर नजरें गड़ा दी हैं। पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ तजाकिस्‍तान के दौरे पर हाल ही में गए थे और वहां पर उन्‍होंने वखान कॉरिडोर को लेकर भी तालिबान के विरोधियों से बातचीत की है। इस बीच वखान कॉर‍िडोर पर ताजा अपडेट यह है कि चीन की खुफिया एजेंसी के सदस्‍यों ने गत 8 जनवरी को वखान कॉरडिोर का दौरा किया है और बताया जा रहा है कि तालिबान को चेतावनी दी है।

वखान कॉरिडोर को तालिबानी अफगानिस्‍तान का सिर मानते हैं। यह 350 किमी लंबा और 34 किमी चौड़ा कॉरिडोर 4 देशों पाकिस्‍तान,तजाकिस्‍तान, चीन और अफगानिस्‍तान को जोड़ता है। साल 2011 से तालिबान विरोधी गुट अफगानिस्‍तान ग्रीन ट्रेंड ने खुलासा किया है कि चीन के मिलिट्री इंटेलिजेंस से जुड़े 3 अधिकारियों ने 8 जनवरी को वखान कॉरिडोर का दौरा किया। ये चीनी अधिकारी 12 जनवरी तक अफगानिस्‍तान के बदख्‍शान प्रांत में बने रहे। इन चीनी सैन्‍य अधिकारियों को तालिबानी सुरक्षा कर्मी मिले हुए थे। अफगानिस्‍तान ग्रीन ट्रेंड ने कहा कि चीन साफतौर पर तालिबान को बता दिया है कि सीमा पर किसी भी तरह की गतिविध‍ि को बंद करे।

चीन को वखान कॉरिडोर से क्‍या सताता है डर?

चीन को डर सताता रहता है कि यहां उइगर मुस्लिम अपनी गतिव‍िधि चला रहे हैं जो उसके शिंजियांग प्रांत के लिए खतरा है। अफगानिस्‍तान ग्रीन ट्रेंड के मुताब‍िक चीन की चेतावनी के बाद अब तालिबान ने एक आयोग बनाया है जो बीज‍िंग के साथ सहयोग करेगा। ग्रीन ट्रेंड के मुताब‍िक वर्तमान समय में ऐसा लग रहा है कि तालिबान ने कुछ हद तक वखान कॉरिडोर पर अपनी संप्रभुता को चीन के प्रभाव में दे दिया है। इस ताजा घटनाक्रम पर अफगान‍िस्‍तान के पूर्व उप राष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह ने तंज कसा है। उन्‍होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि चीन किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि क्‍या चीन का यह रुख बना रहेगा?

वखान कॉरिडोर साल 1893 में हुए डूरंड लाइन समझौते का हिस्‍सा है जो ब्रिटिश काल में हुआ था। इसे रूस और ब्रिटिश साम्राज्‍य में बफर जोन के रूप में बनाया गया था। इस इलाके में 12 हजार लोग रहते हैं। पाकिस्‍तान इस कॉर‍िडोर पर इसलिए कब्‍जा करना चाहता है ताकि उसका सीधे मध्‍य एशिया के देशों के साथ संपर्क हो जाए। तालिबान और भारत के बीच बढ़ती दोस्‍ती के बाद पाकिस्‍तान ने वखान कॉरिडोर को लेकर दबाव बढ़ाया है। वहीं तालिबान ने चेतावनी दी है कि अगर किसी ने वखान कॉरिडोर पर कब्‍जे का प्रयास किया तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा। पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों का कहना है कि जब तक चीन और तजाकिस्‍तान मंजूरी नहीं देते तब तक पाकिस्‍तान के लिए वखान कॉरिडोर पर कब्‍जा करना संभव नहीं होगा।

साभार : नवभारत टाइम्स

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