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यूक्रेन की एक इंच जमीन भी रूस को नहीं देंगे : जेलेंस्की

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कीव. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में 15 अगस्त को महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। इस शिखर सम्मेलन के जरिए अमेरिका, यूक्रेन में युद्ध को रोकना चाहता है। लेकिन उससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति ने साफ शब्दों में कह दिया है कि ‘रूस के साथ किसी भी हाल में जमीन का सौदा नहीं होगा।’ यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की ने डोनबास में कीव के नियंत्रण वाले क्षेत्रों से यूक्रेनी सैनिकों को वापस बुलाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने इस संभावना को भी खारिज कर दिया है, कि वे रूस के साथ संभावित भूमि सौदेबाजी का हिस्सा हो सकते हैं। आपको बता दें कि डोनबास यूक्रेन का ही हिस्सा है, जिसके एक बड़े हिस्से पर अब रूस का कब्जा हो चुका है और एक हिस्से पर अभी भी यूक्रेन का नियंत्रण है। जबकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पूरे डोनबास पर कब्जा चाहते हैं, क्योंकि रणनीति के हिसाब से ये क्षेत्र काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

जेलेंस्की का एक इंच जमीन के लिए भी सौदेबाजी से इनकार

मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि “हम डोनबास नहीं छोड़ेंगे। हम ऐसा नहीं कर सकते। हर कोई मुख्य मुद्दे को भूल जाता है कि हमारे क्षेत्रों पर अवैध रूप से कब्जा है।” उन्होंने आगे कहा कि “डोनबास में रूस को जमीन देने से उसे अगले कुछ वर्षों में एक नया युद्ध शुरू करने और यूक्रेन में और भी गहराई तक घुसने का मौका मिलेगा।” इसीलिए उन्होंने रूस के साथ किसी भी तरह के जमीन के अदला-बदली समझौते की संभावना को खारिज कर दिया है। जिसके बाद अलास्का में ट्रंप-पुतिन के बीच होने वाली बैठक से नतीजा निकलने की उम्मीद काफी कम हो गई है। जेलेंस्की के मुताबिक किसी भी जमीन सौदे पर चर्चा, सुरक्षा गारंटी के अलावा नहीं हो सकती है। असल में जेलेंस्की अमेरिका और यूरोप से यूक्रेन की सुरक्षा की गारंटी चाहते हैं कि इस युद्ध के खत्म होने के बाद भी आगे जाकर रूस, यूक्रेन पर फिर से हमला नहीं करे और अगर हमला होता है तो अमेरिका और यूरोप सुरक्षा के लिए आगे आएं। जेलेंस्की ने कहा कि “अगर अभी वे करीब 9,000 वर्ग किलोमीटर, यानी डोनेट्स्क क्षेत्र का 30% हिस्सा रूस को तोहफे में दे देते हैं तो यह उनकी नई आक्रामकता के लिए लॉन्चपैड बन जाएगा।”

ट्रंप के जमीन अदला-बदली ऑफर को नकारा?

जेलेंस्की का ये बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से बार-बार की गई उस टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने शांति समझौके लिए जमीन की अदला बदली को आधार बनाया है। आरटी के हवाले से ट्रंप ने सोमवार को कहा कि “उन्होंने (रूस ने) कुछ बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है। हम यूक्रेन को उस क्षेत्र का कुछ हिस्सा वापस दिलाने की कोशिश करेंगे।” आपको बता दें कि लुगांस्क (एलपीआर) और डोनेट्स्क (डीपीआर) पीपुल्स रिपब्लिक, जापेरज्जिया और खेरसॉन क्षेत्रों पर रूस ने नियंत्रण स्थापित करने की लगातार कोशिश की है। 2022 में रूस ने इन इलाकों में जनमत संग्रह करवाया था और उसके आधार पर इन क्षेत्रों को रूसी हिस्सा घोषित कर दिया।

इस साल की शुरुआत में एलपीआर पर रूसी सेना ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया था, लेकिन अन्य क्षेत्रों पर मास्को का नियंत्रण अभी भी सौ फीसदी नहीं हो पाया है। आरटी की रिपोर्ट के मुताबिक कीव चारों क्षेत्रों के साथ-साथ क्रीमिया पर भी पूरी तरह से फैसला चाहता है, जिसपर उसने 2014 में कब्जा कर लिया था। लेकिन जेलेंस्की पहले भी बार-बार कह चुके हैं कि वे रूस को किसी भी तरह की क्षेत्रीय रियायत नहीं देंगे, जबकि मास्को का रुख है कि किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन को अपने ‘नए शामिल क्षेत्रों’ से पीछे हटना होगा। जिससे ट्रंप-पुतिन के बीच होने वाली वार्ता के कामयाब होने की उम्मीद काफी कम हो जाती है।

साभार : नवभारत टाइम्स

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