मुंबई. आईसीआईसीआई बैंक ने अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। आईसीआईसीआई बैंक ने अपने उस फैसले को वापस ले लिया है, जिसमें उसने शहरी क्षेत्रों में बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि को 50,000 रुपये कर दिया था। जिसके बाद लोगों के बीच इस फैसले के खिलाफ रोष देखने को मिला था। इससे पहले बैंक ने एक अगस्त से महानगरों में खुलने वाले नए बचत खातों के लिए यह सीमा 10,000 रुपये से पांच गुना बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी थी।
अब इतना रखना होगा न्यूनतम बैलेंस
आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक सूचना में कहा, ग्राहकों की बहुमूल्य प्रतिक्रिया के आधार पर हमने इन प्रावधानों को उनकी अपेक्षाओं एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप संशोधित किया है। संशोधित मानकों के तहत पिछले आदेश को वापस लेते हुए बैंक ने अब महानगरों और शहरी इलाकों में यह सीमा 50000 रुपये से घटाकर सिर्फ 15,000 रुपये कर दी गई है। कस्बों और ग्रामीण इलाकों के लिए न्यूनतम मासिक औसत बैलेंस (एमएबी) क्रमशः 7500 रुपये एवं 2500 रुपये कर दिया गया है, जो एक अगस्त से पहले क्रमशः 5,000 रुपये एवं 2,000 रुपये था।
न्यूनतम बैलेंस की पिछली सीमा की तुलना में सभी श्रेणियों में 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। हालांकि यह पिछले संशोधन की तुलना में कम है। हालांकि नई शर्तें वेतन खातों, वरिष्ठ नागरिकों/ पेंशनभोगियों, बुनियादी बचत बैंक जमा खाता/ प्रधानमंत्री जनधन योजना और विशेष जरूरत वाले लोगों के खातों पर लागू नहीं होंगी। इसके साथ ही 31 जुलाई, 2025 से पहले बैंक में खोले गए बचत खातों पर भी इन बदलावों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आईसीआईसीआई बैंक का यह कदम उस समय आया है जब भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और इंडियन बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश बैंक न्यूनतम राशि पर जुर्माना या तो हटा चुके हैं या उसमें कटौती कर चुके हैं।
क्या होता है न्यूनतम मासिक औसत बैलेंस?
एमएबी वह न्यूनतम राशि है, जो ग्राहक को अपने खाते में न्यूनतम रखनी जरूरी होती है। इससे कम बैलेंस होने पर बैंक छह प्रतिशत या अधिकतम 500 रुपये (जो भी कम हो) का जुर्माना वसूल सकता है। वहीं आईसीआईसीआई बैंक ने अपने नकद लेनदेन के नियमों में भी बदलाव किया है। ग्राहकों को प्रति माह तीन मुफ्त नकद जमा लेनदेन की सुविधा मिलेगी। इनकी कुल राशि 1 लाख रुपये तक होगी। इससे ज्यादा जमा पर 150 रुपये प्रति लेनदेन या 1,000 रुपये जमा पर 3.50 रुपये (जो भी ज्यादा हो) का शुल्क लगेगा।
साभार : अमर उजाला
भारत : 1885 से 1950 (इतिहास पर एक दृष्टि) व/या भारत : 1857 से 1957 (इतिहास पर एक दृष्टि) पुस्तक अपने घर/कार्यालय पर मंगाने के लिए आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सकते हैं
Matribhumisamachar


