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आयुष डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र सीमा बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

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नई दिल्ली. आयुष और एलोपैथिक सरकारी चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति की आयु एकसमान रखी जाए या नहीं, इससे जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। आयुष के तहत आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी चिकित्सक आते हैं, जो एलोपैथिक चिकित्सकों के समान सेवानिवृत्ति की आयु 62 साल करने की मांग कर रहे हैं।

पीठ ने कहा था कि वह देखेगी कि मामला बड़ी पीठ के पास भेजा जा सकता है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले से जुड़ी 31 याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने तमाम वकीलों, राजस्थान सरकार के लिए पेश होनेवाले सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करनेवाले अश्विनी उपाध्याय की दलीलें सुनीं।

सॉलिसिटर जनरल ने क्या दलील दी?

कोर्ट पिछले साल तीन मई को इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हुई थी। सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी थी कि कुछ राज्य सरकारों ने एलोपैथिक डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है। ऐसे में अन्य वर्ग भी समानता के लिए इस आयु सीमा में बदलाव की मांग कर रहे हैं। उपाध्याय ने कहा था कि उनके क्लाइंट फैसला आने तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इस मुद्दे पर पहले ही सहमति बन चुकी है कि आयुष प्रैक्टिशनरों के साथ एलोपैथिक डॉक्टरों जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि अगर आप सफल होते हैं तो आपको वेतन-भत्ते मिलेंगे। वह भी बगैर काम किए।

राजस्थान हाई कोर्ट डॉक्टरों के पक्ष में दे चुका है फैसला

इससे पहले, राजस्थान सरकार ने एलोपैथिक डाक्टरों की कमी को देखते हुए इनकी सेवानिवृत्ति आयु को 31 मार्च, 2016 से ही 62 वर्ष कर दी थी। इस फैसले की वजह से आयुष डाक्टरों ने याचिकाएं दायर की हैं। राजस्थान हाई कोर्ट आयुर्वेदिक चिकित्सकों के पक्ष में फैसला दे चुका है। हाई कोर्ट ने कहा था कि 60 की उम्र में सेवानिवृत्त होनेवाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों को दोबारा बहाल किया जाए। इस फैसले से 1000 चिकित्सकों को फायदा हो सकता है। इस फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और इस पर रोक की अपील की थी।

साभार : दैनिक जागरण
 

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