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पाकिस्तान ने भारत से सिंधु नदी जल समझौते के निलंबन पर विचार करने का किया अनुरोध

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इस्लामाबाद. सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालने के भारत सरकार के फैसले के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है. पाक की शहबाज सरकार ने भारत से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. भावी संकट को देखते हुए भारत से गुहार लगाई है. शहबाज सरकार ने कहा कि इस फैसले से पाकिस्तान में संकट हो जाएगा. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय में सचिव सैय्यद अली मुर्तुजा ने जल शक्ति मंत्रालय में सचिव देवश्री मुखर्जी को पत्र लिखा है. इसमें फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है. पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तान इस मसले पर बात करने को तैयार है. सूत्रों के अनुसार नियम के मुताबिक यह पत्र विदेश मंत्रालय भेज दिया गया है.

खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते- PM मोदी

सूत्रों से मुताबिक भारत को पाकिस्तान की गुहार से कोई हमदर्दी नहीं. पीएम मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते. भारत अब तीन नदियों के पानी का अपने लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है. इस पर तुरंत काम शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है.

सिंधु जल समझौता पाकिस्तान की लाइफ लाइन

दरअसल, पहलगाम हमले के अगले ही दिन भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था. 1960 में हुए सिंधु जल समझौते को पाकिस्तान की लाइफ लाइन माना जाता है. पाकिस्तान की करीब 21 करोड़ से ज्यादा की आबादी पानी के लिए सिंधु और उसकी चार सहायक नदियों पर निर्भर है. इसके अलावा 90% जमीन में सिंचाई का पानी सिंधु नदी से मिलता है.

तनाव के बाद भारत ने रोका चिनाब नदी पानी

भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 की जंग के बाद भी सिंधु जल समझौते को सस्पेंड नहीं किया था. लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी के प्रवाह को रोक दिया और झेलम पर किशनगंगा परियोजना से भी पानी के बहाव को कम कर दिया.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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