क्वेटा. अमेरिका की ओर से आतंकी संगठन घोषित किए जाने पर बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) भड़क गई है। बीएलए ने अपने समूह और अपनी विशेष यूनिट मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित करने के वॉशिंगटन के फैसले को खारिज किया है। गुट के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका बलूच संघर्ष के खिलाफ इस्लामाबाद के औपनिवेशिक नैरेटिव के साथ जुड़ गया है। इससे उनके अभियान पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बीएलए प्रवक्ता जीयंद बलूच ने कहा, ‘हमें अपने खिलाफ इस तरह के कदम की संभावना पहले से थी। अमेरिका के फैसले से बीएलए हैरान नहीं है और ना ही इससे दबाव में आएगा। बीएलए पाकिस्तान के सैन्य वर्चस्व के खिलाफ प्रतिरोध सेना के रूप में काम करती है और अपनी मातृभूमि की मुक्ति के लिए प्रतिबद्ध है। वह अपनी लड़ाई को जारी रखेगी।’
पाकिस्तान का कब्जा नाजायज
बीएलए प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने 1948 में बलूचिस्तान पर जबरन कब्जा किया था, जिसके खिलाफ हमारी लड़ाई है। उन्होंने कहा, ‘बीएलए का संघर्ष बलूच राष्ट्रीय गौरव के लिए है। अपने उद्देश्य को सही ठहराने के लिए बीएलए को किसी बाहरी मान्यता या किसी अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेट की कोई आवश्यकता नहीं है। बीएलए ने कहा है कि उसके लड़ाके बलूचिस्तान के अंदर पाकिस्तानी सेना, फ्रंटियर कोर और उनके खुफिया नेटवर्क को निशाना बनाते हैं। हम ना तो पाकिस्तान के लोगों के विरोधी हैं और ना ही किसी विश्व शक्ति के खिलाफ हैं। हमारे हथियार पूरी तरह से हमारी मातृभूमि पर कब्जा करने वाले पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के खिलाफ उठे हुए हैं।
हम पीछे नहीं हटेंगे
बीएलए प्रवक्ता ने अमेरिका को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि हम अपनी वैचारिक और सैन्य ‘क्रांति’ से पीछे नहीं हटेंगे। अमेरिकी कदम को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि जब तक बलूच राष्ट्रीय मुक्ति और संप्रभुता हासिल नहीं हो जाती, हम अपना सशस्त्र संघर्ष जारी रखेंगे। कोई विश्व शक्ति क्या कहती है, उससे हमें फर्क नहीं पड़ता है। बीएलए बलूचिस्तान में करीब तीन दशक से सक्रिय है। यह ईरान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में भी एक्टिव है। एक्सपर्ट का कहना है कि 2006 में परवेज मुशर्रफ के नेतृत्व वाली सरकार के समय बलूच नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या के बाद यह विद्रोह तेज हुआ। हालिया वर्षों में इस गुट ने पाकिस्तानी आर्मी पर लगातार हमले किए हैं।
साभार : नवभारत टाइम्स
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