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ईपीएफओ के नए नियमों का विरोध होने पर केंद्र सरकार ने दी सफाई

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नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के नए नियमों को लेकर सोशल मीडिया पर मचा बवाल अब सरकार तक पहुंच गया है। EPF और EPS पेंशन निकासी नियमों में किए गए हालिया बदलावों को लेकर लोगों ने कड़ी नाराजगी जताई, जिसके बाद केंद्र सरकार और श्रम मंत्रालय को सामने आकर सफाई देनी पड़ी। सरकार ने कहा है कि EPFO से जुड़ी सोशल मीडिया पोस्टों में फैलाई जा रही बातें भ्रामक और पूरी तरह गलत हैं। इन नियमों का मकसद कर्मचारियों की लंबी अवधि की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना है, न कि उनका नुकसान करना।

दरअसल, हाल ही में EPFO ने EPF (Employees Provident Fund) और EPS (Employees Pension Scheme) से पैसे निकालने के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि सरकार अब कर्मचारियों की अपनी बचत तक पहुंचना मुश्किल बना रही है और उनके पैसे पर रोक लगा रही है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने भी X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह सरकार का सैलरीड क्लास के पैसे पर खुला डाका है। इन आरोपों के बीच श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और EPFO ने बयान जारी कर कहा कि ये दावे तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रम फैलाने वाले हैं। मंत्रालय ने कहा कि नए नियमों से कर्मचारियों को ज्यादा लाभ मिलेगा और उनकी बचत सुरक्षित रहेगी।

क्या हैं EPFO के नए नियम

1. पैसे निकालने के नियम हुए आसान और एकसमान

मंत्रालय ने बताया कि पहले EPF से आंशिक निकासी के 13 अलग-अलग प्रावधान थे, जिससे कर्मचारी अक्सर भ्रमित रहते थे और उनके कई क्लेम रिजेक्ट हो जाते थे। अब इन सभी नियमों को एक साथ और सरल ढांचे में बदला गया है। पहले सदस्य केवल अपनी कर्मचारी अंशदान और उस पर ब्याज का कुछ हिस्सा (50-100%) ही निकाल सकता था। अब नया नियम कहता है कि निकासी में नियोक्ता का योगदान और ब्याज भी शामिल होगा। यानी अब सदस्य को पहले से ज्यादा राशि निकालने की सुविधा मिलेगी।

2. बेरोजगारी की स्थिति में 75% रकम तुरंत निकालने की सुविधा

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर कोई व्यक्ति बेरोजगार हो जाता है, तो वह अपने कुल पीएफ पैसे का 75% हिस्सा तुरंत निकाल सकता है। इसमें कर्मचारी और कंपनी (नियोक्ता) दोनों का योगदान और उस पर मिला ब्याज भी शामिल रहेगा। बाकी 25% रकम भी वह एक साल बाद निकाल सकता है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति 55 साल की उम्र पूरी कर चुका है, रिटायर हो गया है, स्थायी रूप से विकलांग हो गया है, खुद नौकरी छोड़ना चाहता है या विदेश में बसने जा रहा है, तो वह अपना पूरा पीएफ बैलेंस एक साथ निकाल सकता है।

3. 25% न्यूनतम बैलेंस नियम क्यों लाया गया

EPFO ने बताया कि रिटायरमेंट  के समय ज्यादातर कर्मचारियों के खातों में बहुत कम रकम बचती है, क्योंकि वे बार-बार पैसे निकाल लेते हैं। डेटा के मुताबिक, 75% PF सदस्यों के पास रिटायरमेंट के समय 50,000 रुपये से भी कम राशि बचती है। वहीं, 50% के पास 20,000 रुपये से कम पैसे बचते हैं। इस वजह से वे 8.25% ब्याज के कंपाउंडिंग लाभ से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में 25% न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने का नियम इसलिए लागू किया गया ताकि कर्मचारियों के पास रिटायरमेंट के समय एक अच्छा कॉर्पस हो और उन्हें लंबी अवधि की सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

4. EPS पेंशन निकासी अब 36 महीने बाद संभव

पहले सदस्य EPS फंड को 2 महीने बाद निकाल सकता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 36 महीने कर दिया गया है। सरकार का तर्क है कि लगभग 75% सदस्य 10 साल की सर्विस पूरी करने से पहले ही अपनी पूरी पेंशन राशि निकाल लेते हैं, जिससे वे भविष्य की पेंशन और परिवार को मिलने वाले सुरक्षा लाभ से वंचित रह जाते हैं। नए नियम के तहत अगर सदस्य पेंशन फंड नहीं निकालता है, तो उसकी मृत्यु की स्थिति में परिवार को तीन साल तक पेंशन लाभ मिलता रहेगा। अगर फंड पहले निकाल लिया गया तो यह लाभ समाप्त हो जाएगा। इसलिए सरकार का कहना है कि यह कदम लॉन्ग-टर्म सिक्योरिटी सुनिश्चित करने के लिए है, न कि किसी तरह की पाबंदी लगाने के लिए।

भ्रम फैलाया जा रहा है”

श्रम मंत्रालय ने साफ कहा कि सोशल मीडिया पर चल रहे दावे लोगों को गुमराह करने वाले हैं। बयान में कहा गया कि जो संदेश वायरल हो रहा है, वह सदस्यों की पात्रता, निकासी की शर्तों और फंड बैलेंस तक पहुंच के नियमों को गलत तरीके से पेश कर रहा है। मंत्रालय ने यह भी जोड़ा कि EPFO के नियमों में बदलाव पारदर्शिता और सरलता लाने के लिए किए गए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा कर्मचारी फायदा उठा सकें और रिटायरमेंट के समय उनके पास मजबूत बचत बनी रहे।

साभार : इंडिया टीवी  

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