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गूगल ने ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए ‘सुरक्षा चार्टर’ किया लॉन्च

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वाशिंगटन. गूगल ने ‘सेफर विद गूगल इंडिया समिट’ के दौरान अपने नए ‘सुरक्षा चार्टर’ को पेश  किया. साथ ही बताया गया कि इससे भारत के डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी. यह पहल यूजर्स को ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने, जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए साइबर सुरक्षा को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि एआई को जिम्मेदारी से विकसित किया जाए.

इंटरनेट यूजर्स होंगे सुरक्षित

यह सुरक्षा चार्टर तीन प्रमुख लक्ष्यों के इर्द-गिर्द बना है, जिसमें इंटरनेट यूजर्स को घोटालों और धोखाधड़ी से सुरक्षित रखना, सरकारों और व्यवसायों के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करना और लोगों की सुरक्षा करने वाले जिम्मेदार एआई सिस्टम का निर्माण करना शामिल है.

लोगों को जागरुक कर बनाएंगे सुरक्षित

पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा गूगल का ‘डिजिकवाच’ कार्यक्रम है, जो वित्तीय घोटालों के खिलाफ पहले ही एआई-पावर्ड प्रोडक्ट्स और जागरुकता अभियानों से  17.7 करोड़ से अधिक भारतीयों तक पहुंच चुका है.

घोटाले वाली वेबसाइटों की हो जाती है पहचान

दरअसल, गूगल के सिस्टम एआई के साथ और अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं. इसकी सर्च अब 20 गुना अधिक घोटाले वाली वेबसाइटों की पहचान करती है और ग्राहक सेवा और सरकारी प्लेटफार्मों पर स्कैम अटैक में क्रमशः 80 प्रतिशत और 70 प्रतिशत की गिरावट आई है. मैसेजिंग में गूगल मैसेज हर महीने 500 मिलियन से ज्यादा स्कैम टेक्स्ट को ब्लॉक कर रहा है.

गूगल पे भी बचाता है फ्रॉड से

भारत में बड़े स्तर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गूगल पे ने संभावित धोखाधड़ी के बारे में यूजर्स को चेतावनी देने के लिए 4.1 करोड़ से ज्यादा अलर्ट भेजे हैं. इसने अकेले 2024 में 13,000 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को रोकने में भी मदद की. कंपनी के गूगल प्ले प्रोडक्ट ने अक्टूबर 2024 में भारत में पायलट किए जाने के बाद से 1.3 करोड़ डिवाइस पर लगभग 6 करोड़ जोखिम भरे ऐप इंस्टॉल को ब्लॉक किया है.

साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है गूगल

गूगल बड़े पैमाने पर साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी काम कर रहा है. इसने खतरों का जल्द पता लगाने और उस जानकारी को दूसरी कंपनियों और सरकारी निकायों के साथ साझा करने के लिए एक नया एआई पावर्ड एप्रोच पेश किया है. गूगल सिक्योरिटी में इंजीनियरिंग की उपाध्यक्ष हीदर एडकिंस ने बताया कि ऑनलाइन खतरे अब मशीन की गति से विकसित हो रहे हैं. एआई की सीखने, तर्क करने और बड़े पैमाने पर कार्य करने की क्षमता डिफेंडर्स को हमलावरों से पहले की तुलना में कहीं आगे रहने की अनुमति दे रही है.

साभार : एनडीटीवी

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