इस्लामाबाद. पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने हाल ही में देश के सामने खड़ी गंभीर चुनौतियों और खतरों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि देश का मौजूदा शासन विफल हो चुका है. इसका खामियाजा सेना और आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. जनरल मुनीर ने कहा कि हम कब तक अपने शहीदों के खून से शासन की असफलताओं को ढंकते रहेंगे? उनका यह बयान सीधे तौर पर शहबाज शरीफ सरकार की ओर इशारा करता है. मुनीर का यह डर बलूच विद्रोहियों के हमले के तुरंत बाद सामने आया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बलूच विद्रोहियों द्वारा ट्रेन हाईजैक की घटना ने पाक सेना को घुटनों पर ला दिया है.
कट्टरपंथ और आंतरिक अस्थिरता पर कड़ी प्रतिक्रिया
जनरल असीम मुनीर ने इस्लाम के नाम पर फैलाए जा रहे कट्टरपंथ और चरमपंथी संगठनों की गलत व्याख्या को लेकर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने देश के धर्म गुरुओं से अपील की कि वे इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं को सामने लाएं और आतंकवादी संगठनों की सोच को उजागर करें. मुनीर ने यह भी कहा कि जब तक पाकिस्तान में राजनीतिक और निजी हित देशहित से ऊपर रहेंगे.. तब तक देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित नहीं हो सकती.
देश को ‘हार्ड स्टेट’ बनाने की बात
आर्मी चीफ ने पाकिस्तान को ‘हार्ड स्टेट’ बनाने की जरूरत पर जोर दिया. हार्ड स्टेट का मतलब है एक ऐसा राष्ट्र जो कानून व्यवस्था और शासन में सख्ती बरते और आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त न करे. जनरल मुनीर के इस बयान से साफ होता है कि पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति बेहद नाजुक है और सेना भी इससे परेशान है.
बलूच विद्रोहियों से घबराई पाक सेना
हाल ही में बलूच विद्रोहियों द्वारा पाकिस्तान की ट्रेन ‘जफर एक्सप्रेस’ को हाईजैक किए जाने की घटना ने पाकिस्तान की सेना को हिला कर रख दिया है. बलूच विद्रोहियों का आतंक अब इतना बढ़ चुका है कि सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी खौफ में जी रहे हैं. सेना के सीनियर अधिकारियों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि उनके बेटे और युवा अधिकारी कहीं बलूचिस्तान या फ्रंटियर कोर जैसी खतरनाक जगहों पर तैनात न हो जाएं.
LOC पर पोस्टिंग की मारामारी
पाकिस्तान और भारत के बीच 2021 से नियंत्रण रेखा (LOC) पर सीजफायर है. इस इलाके में अब केवल हल्की फायरिंग की घटनाएं होती हैं. लेकिन हथियारों का बड़ा इस्तेमाल नहीं हो रहा. इस कारण यह पोस्टिंग पाक सेना के अधिकारियों के लिए सबसे सुरक्षित मानी जा रही है. सेना के अधिकारी अपने रसूख का इस्तेमाल कर अपने बच्चों को LOC पर तैनात कराने की कोशिश में लगे हुए हैं, जिससे वे बलूचिस्तान या खैबर पख्तूनख्वा के क्षेत्रों में जाने से बच सकें.
फ्रंटियर कोर का खौफ
बता दें कि फ्रंटियर कोर पाकिस्तान की पैरामिलिट्री फोर्स है जो बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे संवेदनशील इलाकों में तैनात रहती है. इसकी जिम्मेदारी आतंकवाद और सीमावर्ती इलाकों की सुरक्षा बनाए रखना है. सेना के बड़े अधिकारी खुद या अपने बच्चों को फ्रंटियर कोर में पोस्टिंग से बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार सेना के अधिकारी इन इलाकों में तैनाती को ‘डेथ पोस्टिंग’ मानते हैं.
सेना में युवाओं को भेजने की तैयारी
पाकिस्तान की सेना ने अब युवाओं को बलूच विद्रोहियों और टीटीपी के खिलाफ मोर्चा लेने के लिए आगे करने की रणनीति अपनाई है. इसके तहत 80 युवा अधिकारियों को चुना गया है. जिनमें अधिकतर लेफ्टिनेंट और मेजर रैंक के अधिकारी हैं. सेना का मानना है कि युवा अधिकारियों की ऊर्जा और उत्साह का फायदा उठाकर बलूच विद्रोहियों को कड़ी टक्कर दी जा सकती है. हालांकि इसके पीछे एक डर भी छिपा है कि वरिष्ठ अधिकारी खुद जोखिम नहीं लेना चाहते और अपने बच्चों को भी इन खतरनाक इलाकों में भेजने से कतरा रहे हैं.
सेना में बढ़ती घबराहट
बलूच विद्रोह और टीटीपी के लगातार हमलों ने सेना में भय का माहौल पैदा कर दिया है. हाल ही में बलूचिस्तान में हुए हमले में कई युवा अधिकारी मारे गए. जिससे सेना के भीतर दहशत का माहौल और गहरा गया है. सेना के वरिष्ठ अधिकारी खुलेआम इस डर को जाहिर करने से बच रहे हैं. लेकिन उनके कदम बता रहे हैं कि वे कितने घबराए हुए हैं.
क्या अब आर्मी चीफ को आ गई अक्ल?
जनरल असीम मुनीर का हालिया बयान इस बात की तरफ इशारा करता है कि अब पाकिस्तान की सेना को भी अहसास हो गया है कि केवल आतंक फैलाकर या हथियारों के दम पर देश नहीं चलाया जा सकता. कट्टरपंथ, शासन की विफलताएं और आंतरिक अस्थिरता ने पाकिस्तान को आज इस स्थिति में ला खड़ा किया है.. जहां उसके अपने ही नागरिक और विद्रोही अब सेना को घुटनों पर लाने लगे हैं.
साभार : जी न्यूज
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