वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण 2025-26 में विज़न 2030 के अनुरूप कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और संपूर्ण वस्त्र मूल्य श्रृंखला को सुदृढ़ करने के लिए पांच वर्षीय वर्षीय ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की घोषणा की थी। कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) इस मिशन के कार्यान्वयन के लिए केन्द्रित विఀभाग है, जिसमें वस्त्र मंत्रालय साझेदार है। मिशन का उद्देश्य सभी कपास उत्पादक राज्यों में अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों सहित प्रमुख पहल द्वारा कपास उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस मिशन में उन्नत प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों के उपयोग से अति-लंबे रेशे वाले कपास (ईएलएस) सहित जलवायु-अनुकूल, कीट-प्रतिरोधी और उच्च उपज की कपास किस्मों को विकसित करने पर भी ध्यान केंद्रित करना प्रस्तावित है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नागपुर स्थित केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम) के अंतर्गत कपास की उत्पादकता और ईएलएस कपास का उत्पादन बढ़ाने के लिए आठ प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में 2023-24 और 2024-25 के दौरान ‘कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकियों का लक्ष्यीकरण कर कपास उत्पादकता बढ़ाने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं का वृहद प्रदर्शन’ शीर्षक से कपास उत्पादन संबंधी विशेष परियोजना लागू की गई है, जो 2025-26 में भी जारी रहेगी। इस परियोजना का कुल परिव्यय 6,032.35 लाख रुपये है।
कपास उत्पादकता मिशन का उद्देश्य किसानों को अत्याधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान करना है, जिससे उन्हें उच्च उत्पादकता, उत्कृष्ट रेशे की गुणवत्ता और जलवायु एवं कीट-रोधी उपयुक्ता मिल सके। सरकार के एकीकृत फाइव-एफ विजन, खेत से रेशा, कारखाने से फैशन से लेकर फिर विदेश तक, के अनुरूप, इस मिशन से कपास किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी और उच्च गुणवत्तायुक्त कपास की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होने से भारत के पारंपरिक कपड़ा क्षेत्र को नई शक्ति मिलेगी तथा यह वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में और आगे बढ़ेगा।
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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