वाशिंगटन. व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर फिर तीखा हमला किया और नई दिल्ली को ‘टैरिफ का महाराजा’ करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत सस्ते रूसी तेल सौदे के जरिये लाभ कमाने की योजना चला रहा है। नवारो का यह बयान ऐसे समय आया है, जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि अमेरिका ने ही भारत से रूस से तेल खरीदने और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार को स्थिर करने में मदद करने का आग्रह किया था। नवारो ने यह भी आरोप लगाया कि भारत चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नजदीक जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास बढ़ रही है, खासकर तब से जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ दोगुना कर 50% तक कर दिया।
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत ने नहीं खरीदा था रूसी तेल
नवारो ने अमेरिका में संवाददाताओं से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा, 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले भारत ने लगभग कोई रूसी तेल नहीं खरीदा था। यह उनकी कुल जरूरत का लगभग 1% था, लेकिन अब यह बढ़कर 35% तक पहुंच गया है।
‘शांति का मार्ग नई दिल्ली से होकर गुजरता है’
उन्होंने दावा किया कि भारत चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी घनिष्ठता बढ़ा रहा है। नवारो ने कहा कि रूस के रियायती कच्चे तेल की खरीद, इसे परिष्कृत करने और वैश्विक स्तर पर प्रीमियम पर उत्पादों को बेचने में संलिप्त भारत ‘क्रेमलिन के लिए लॉन्ड्रोमैट’ (Kremlin’s laundromat) के रूप में काम कर रहा है। रूसी तेल खरीदने के लिए तीखी आलोचना के बावजूद नवारो ने गुरुवार (स्थानीय समय) को भारत के नेतृत्व की प्रशंसा भी की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘महान नेता’ बताते हुए कहा, ‘शांति का मार्ग नई दिल्ली से होकर गुजरता है।’ नवारो ने तर्क दिया कि भारत को रूसी तेल की ज़रूरत नहीं है, और बताया कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण से पहले, भारत रूस से अपने तेल का 1% से भी कम आयात करता था। हालांकि, अब वह लगभग 35-40% आयात करता है।
नवारो ने तीन दिन पहले भी रूस से तल खरीद पर उठाए थे सवाल
यह नवारो का भारत पर कुछ दिनों में दूसरा बड़ा हमला है। तीन दिन पहले भी उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स में एक लेख लिखकर भी भारत की रूस से तेल खरीद पर सवाल उठाए थे। उनका कहना है कि भारत का यह तर्क गलत है कि उसे अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूसी तेल चाहिए।
भारतीय रिफाइनिंग उद्योग कर रहा मुनाफाखोरी
नवारो ने कहा कि भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदता है, उसे अपनी रिफाइनरियों में प्रोसेस करता है और फिर पेट्रोल-डीजल जैसे परिष्कृत उत्पाद यूरोप, अफ्रीका और एशिया को महंगे दामों पर बेचता है। उन्होंने आगे कहा, ‘यह पूरी तरह से भारतीय रिफाइनिंग उद्योग द्वारा मुनाफाखोरी है।’
अमेरिका का भारत के साथ भारी व्यापार घाटा
नवारो ने आगे कहा, ‘भारत के साथ हमारे व्यापार का अमेरिकियों पर कुल मिलाकर क्या असर पड़ता है? टैरिफ के मामले में भारत महाराजा है। भारत की ओर से ऊंचे टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएं हैं। अमेरिका का भारत के साथ भारी व्यापार घाटा है। इसका अमेरिकी कामगारों और कंपनियों पर बुरा असर पड़ता है।’
नवारो ने भारत पर ये भी आरोप लगाया
नवारो का आरोप है कि भारत जो पैसा कमाता है, उसी से रूस से और तेल खरीदता है। फिर रूस उस पैसे से हथियार बनाता है और यूक्रेन पर हमला करता है। इसके बाद अमेरिकी करदाताओं को अपनी सरकार के जरिये यूक्रेन की मदद के लिए और अधिक पैसे और हथियार देने पड़ते हैं। उन्होंने इसे ‘पागलपन’ करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत इस युद्ध में अपनी भूमिका मानना नहीं चाहता और इस पूरे कामकाज को उन्होंने ‘मुनाफाखोरी योजना’ बताया।
साभार : अमर उजाला
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