नई दिल्ली. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने दिल्ली-एनसीआर में एक बड़े सिंथेटिक ड्रग रैकेट का पर्दाफाश करने में कामयाबी हासिल की है. एनसीबी ने इस मामले में नोएडा से 25 साल के शेन वारिस को गिरफ्तार किया था, जिसने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए. उसी के जरिए एजेंसियों को अब तक की सबसे बड़ी बरामदगियों में से एक 328.54 किलो मेथाम्फेटामाइन तक पहुंचने में मदद मिली. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 262 करोड़ रुपए बताई जा रही है.इस मामले में अब तक दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
शेन वारिस उत्तर प्रदेश के अमरोहा स्थित मंगरौली गांव का रहने वाला है. वह नोएडा के सेक्टर-5 हरौला के एक फ्लैट में रहता था और खुद को एक कंपनी में सेल्स मैनेजर बताता था. NCB टीम की जांच में शेन वारिस का नाम सामने आने के बाद उसे 20 नवंबर को गिरफ्तार किया.
फर्जी सिम और एन्क्रिप्टेड ऐप्स ऐप्स से चलता था ‘ड्रग नेटवर्क’
पूछताछ में उसने बताया कि वह अपने बॉस के कहने पर फेक सिम कार्ड, व्हाट्सएप और जैंगी जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल करता था, जिससे उसके नेटवर्क की गतिविधियां किसी को पता न चले.
साथ ही शेन से पूछताछ में ड्रग नेटवर्क के बारे में अहम जानकारी मिली और उसने एस्थर किनिमी नाम की एक महिला के बारे में बताया, जिसने पहले उसके जरिए एक ड्रग कंसाइनमेंट भिजवाया था. शेन ने उसका मोबाइल नंबर, पता और नेटवर्क की जानकारियां भी साझा की. पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया है.
छतरपुर से भारी मात्रा में मेथाम्फेटामाइन की हुई बरामदगी
शेन से मिली जानकारी के आधार पर NCB ने छतरपुर एन्क्लेव फेज-2 में स्थित एक बिल्डिंग पर 20 नवंबर की रात छापेमारी की. यहां से 328.54 किलो मेथाम्फेटामाइन बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 262 करोड़ रुपए है. यह बरामदगी अपने-आप में बेहद बड़ी मानी जा रही है. यह ड्रग्स एस्थर किनिमी के फ्लैट से बरामद हुआ है और वह नागालैंड की रहने वाली है.
जांच में सामने आया है कि शेन इस पूरे नेटवर्क में एक अहम भूमिका निभा रहा था और उसके “बॉस” विदेशी ऑपरेटिव्स थे, जो भारत में बैठे लोगों को ऐप्स और कोडवर्ड के जरिए निर्देश भेजते थे.
साभार : एनडीटीवी
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