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पुलिस ने गाजियाबाद में फर्जी दूतावास चलाने वाले को किया गिरफ्तार

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में फर्जी दूतावास मामले में फिलहाल हर्षवर्धन जैन पुलिस की गिरफ्त में है. उसे आज यानि गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. रात भर हर्षवर्धन से पूछताछ जारी रही. आज मामले की जानकारी ईडी और सीबीआई को दी जाएगी. फिर इंटरनेशनल नेटवर्क को खंगालने के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी. इस बीच हर्षवर्धन को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है. हर्षवर्धन को पुलिस पहले भी जेल की हवा खिला चुकी है. हर्षवर्धन को बुधवार के दिन UP STF ने गिरफ्तार किया था. दरअसल, वो गाजियाबाद के कविनगर स्थित एक कोठी में 4 फर्जी देशों का दूतावास चला रहा था. जैन खुद को West Artica, Saborga, Poulvia, Londonia जैसे देशों का राजदूत बताता था. हर्षवर्धन जैन को सैटेलाइट फोन रखने के आरोप में पुलिस जेल की हवा भी खिला चुकी है. आज हम आपको इसी हर्षवर्धन जैन की कहानी बताएंगे. साल 1990 के दशक में हर्षवर्धन ने गाजियाबाद के ही एक प्राइवेट कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उसने अपने पिता जेडी जैन से कहा कि वो आगे की पढ़ाई विदेश में करना चाहता है. हर्षवर्धन के जेडी जैन उन दिनों गाजियाबाद में जैन रोलिंग मिल के जरिये ऊंचाइयों पर थे. उन्हीं दिनों उन्होंने मार्बल माइंस के कारोबार में कदम रखा और उसे राजस्थान के बांसवाड़ा और काकरोली तक फैला दिया.

ऐसे बढ़ीं हर्षवर्धन की महत्वकांक्षाएं

जैडी जैन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, इसलिए पिता हर्षवर्धन एमबीए करने के लिए लंदन भेज दिया. वहीं, हर्षवर्धन संयोग से चंद्रास्वामी से मिला. चंद्रस्वामी से मिलने के बाद ही हर्षवर्धन की महत्वकांक्षाएं बढ़ गईं. साल 2006 में ये लंदन से एमबीए करके वापस आया. उस समय पिता की चाह थी कि बेटा राजस्थान में कारोबार संभाले, लेकिन हर्षवर्धन दुबई अपने चचेरे भाई के पास चला गया.

दुबई में हवाला कारोबार में लगा

हर्षवर्धन ने ऐसा चंद्रास्वमी और हथियार डीलर अदनान के कहने पर किया. दुबई में ये हवाला कारोबार में लग गया. चंद्रास्वामी की मौत के बाद हर्षवर्धन वापस गाजियाबाद लौट आया, लेकिन अब उसकी आर्थिक हालत खराब हो चुकी थी. दिसंबर 2011 में ये दुबई से लौटा और करीब चार महीने तक गाजियाबाद के कविनगर में ही रहा और यहीं से सैटेलाइट फोन के जरिये अपना कारोबार चलाता रहा. संयोग से पुलिस ने उसके सैटेलाइट फोन की तरंगों को ट्रेस कर लिया. इसके बादटेलीग्राफ बायर्स अनलाफुल पजेशन एक्ट के तहत हर्षवर्धन की गिरफ्तारी की गई और इसे डासना जेल भेज दिया गया. पुलिस इस गिरफ्तारी को बड़ी उपलब्धि मान और बता रही थी, लेकिन चंद्रास्वामी वाले नेटवर्क के चलते हर्षवर्धन बाहर आ गया. फिर इसने गाजियाबाद में फर्जी एंबेसी खोली और दलाली और हवाला का काम कर रहा था.

साभार : टीवी9 भारतवर्ष

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