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बॉम्बे हाईकोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की भारत आए बिना याचिका को सुनने से किया इनकार

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मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक वह भारतीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं होते, तब तक अदालत उनकी भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम के खिलाफ चुनौती पर विचार नहीं करेगी।

पीठ ने मंगलवार को यह भी सवाल उठाया कि व्यवसायी भारत लौटने की योजना कब बना रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायाधीश गौतम अंकड़ की पीठ ने भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉनड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए वांछित 70 वर्षीय शराब कारोबारी विजय माल्या से उनकी वापसी के बारे में सवाल किया।

माल्या के अदालत में पेश होने तक सुनवाई नहीं

अदालत ने माल्या के वकील अमित देसाई को स्पष्ट किया कि जब तक वह पहले अदालत के अधिकार क्षेत्र के समक्ष प्रस्तुत नहीं होते, तब तक वह माल्या की अधिनियम के खिलाफ याचिका पर सुनवाई नहीं करेगी। 2016 से भारत से भागकर ब्रिटेन में रह रहे विजय माल्या ने हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की हैं।

एक याचिका में उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के आदेश को चुनौती दी गई है और दूसरी याचिका में 2018 के अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है। हाई कोर्ट ने आगे की सुनवाई के लिए 12 फरवरी को अगली तारीख निर्धारित की, जब माल्या को अदालत को सूचित करना होगा कि वह किस याचिका के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं।

माल्या को जनवरी 2019 में पीएमएलए के तहत मनी लांड्रिग के मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत द्वारा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख निर्धारित की है।

ईडी की ओर से पेश महाधिवक्ता तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि भगोड़ों को बिना देश की अदालतों के समक्ष प्रस्तुत हुए अधिनियम की वैधता को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

अदालत ने माल्या की वापसी योजना पर सवाल उठाया

एफईओ अधिनियम इस उद्देश्य से लाया गया था कि ऐसे व्यक्ति कानून का दुरुपयोग न करें और देश से दूर रहकर अपने वकीलों के माध्यम से याचिकाएं दायर नहीं करें।

मेहता ने अदालत को बताया कि माल्या के खिलाफ शुरू की गई प्रत्यर्पण प्रक्रिया उन्नत चरण में है। पीठ ने कहा कि वह माल्या द्वारा दायर दोनों याचिकाओं को एक साथ नहीं चलने दे सकती और अब-निष्कि्रय किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर से स्पष्ट करने के लिए कहा कि वह कौन सी याचिका आगे बढ़ाना चाहते हैं और कौन सी वापस लेना चाहते हैं।

देसाई ने अदालत को बताया कि वित्तीय देनदारी को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया गया है, क्योंकि माल्या की 14,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गई हैं और 6,000 करोड़ रुपये की देनदारी वसूल की गई है।

महाधिवक्ता ने कहा कि भगोड़े व्यवसायी को विदेश में रहते हुए भी कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार है। पीठ ने यह सवाल उठाया कि बिना अदालत के अधिकार क्षेत्र के समक्ष प्रस्तुत हुए कोई कैसे आपराधिक देनदारी को समाप्त कर सकता है।

साभार : दैनिक जागरण

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